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( BHULI, Dhanbad Jharkhand E block )अष्टमी महागौरी मां की पूजा भूली, धनबाद में , देवी दुर्गा की आठवीं शक्ति Mahagauri Mata

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 अष्टमी महागौरी मां की पूजा भूली, ( Bhuli Dhanbad) धनबाद में , देवी दुर्गा की आठवीं शक्ति Mahagauri Mata              भूली नगर धनबाद ई बलौक सेक्टर एक  आज दिनांक 03/10/2022 दिन सोमवार को भूली नगर, धनबाद के पूजा पंडालों में वरदायिनी मां महागौरी की पूजा अर्चना की जा रही है। इस दिन कहीं कहीं कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं जाते हैं, और कहीं कहीं नवमी को भी यह विधान होता है। मां महागौरी की पूजा से कुंवारी कन्याओं को मनवांछित वर मिलता है। और सभी भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेतेम्बरधरा शुचि: महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। मां दुर्गा जी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है । नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा का विधान है।  इनका वर्ण पूर्णतः गौर है । इस गौरता की उपमा शंख, चक्र और कुंद के फूल से की गई है। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि श्वेत हैं।  अपने पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसके कारण शरीर एकदम काला पड़ गया था। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया, तभी से  विद्युत प्र

मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि माता maa kalratri की पूजा भूली नगर धनबाद

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  मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि माता Kalratri mata की पूजा भूली नगर धनबाद में मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है लेकिन यह सदा शुभ फल ही देने वाली मां है। इसी कारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है। दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा और आराधना पूरे मनोयोग से की जाती है  । जो इनकी पूजा तन मन से करता है वह पुण्य का भागी बन जाता है ।  मां कालरात्रि दुष्टों का नाश करती है । दानव , दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही  भाग जाते हैं । मां सारे ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली है । नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में होता है । मां के इस स्वरूप को अपने हृदय में बसाकर साधक को एक निष्ठा भाव से उनकी आराधना करनी चाहिए। यह सभी राशियों के लिए शुभ है लेकिन सिंह और मीन राशि के लिए अति उत्तम है। आज का शुभ रंग कृष्ण है। मां कालरात्रि का रंग बाघाम्बरी है। साधना के समय नीला वस्त्र धारण करें। आज के दिन का महत्व कालरात्रि माता का स्वरूप देखने में जितना

BHULI, Dhanbad, Jharkhand,C- block, Puja Pandal

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BHULI, Dhanbad, Jharkhand,C- block, Puja Pandal 2022          लेखक- डॉ उमेश कुमार सिंह, भूली नगर, धनबाद                  C block Bhuli, Dhanbad puja pandal कोयलांचल की श्रमिक नगर भूली एशिया महाद्वीप में सबसे बड़ा श्रमिक कालोनी है। यहां के पूजा पंडाल बहुत नामी है। दुर्गा पूजा के महीने दो महीने पहले से ही पंडाल का निर्माण शुरू हो जाता है। कारीगर बंगाल से आते हैं। पंडालों की भव्यता खूब देखते बनती है। यहां के नागरिक खूब बढ़ चढ़कर चंदा देते हैं। समय मिले तो यहां जरूर आइए।            BHULI, E block, sector  - 5 puja pandal बजरंग बाण पढ़ें   भूली नगर, धनबाद ई बलौक सेक्टर 5 का यह पूजा पंडाल भी बड़ा भव्य बना है। यहां  हीरक रोड से आकर झारखण्ड मोड़ से भूली नगर में प्रवेश किया जाता है। सेक्टर, एक, बी ब्लॉक, ए ब्लॉक ,डी ब्लॉक के पूजा पंडाल भूली नगर धनबाद के प्रसिद्ध पंडाल हैं जहां दर्शकों की भीड़ लगी रहती है। क्लिक कीजिए और देखें कालरात्रि माता की पूजा भूली धनबाद में

होली, Holi festival निबंध

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  1. होली का त्योहार 2. बसंत का मुुख्य त्योहार 3. मस्ती    उमंग 4. होलिका दहन 5 हिरण्यकश्यपु की कथा 6. होली के गीत         बसंत ऋतु और होली              Holi होली  बसंत के चरमोत्कर्ष का नाम होली है। इसे बसंत उत्सव अथवा मदनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। बसंत ऋतु की मादकता जब पराकाष्ठा पर पहुंच जाती है तब रंगों का त्योहार होली आती है। चंपा , चमेली , कनेर, गुलाब, जुही, मालती, बेला, की मादक महक, आम्र-अशोक कटहल – जामुन की किसलय कोंपलों की चमक पिंक – पपीहे की पुकार आदि चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाता है तब आनंद और अलमस्ती का त्योहार होली आती है।       होली के संबंध में कई पौराणिक कथाएं भारतीय समाज में प्रचलित है। एक कथा के अनुसार असुराधिपति सम्राट हिरण्यकशिपु अपने आप को भगवान मानता था और अपनी प्रजा को भी ऐसा ही करने को विवश करता था। परंतु उसका पुत्र प्रह्लाद श्री विष्णु भगवान का परम भक्त था। इसलिए दोनों पिता-पुत्र एक दूसरे के बैरी बन गए थे।  हिरण्यकशिपु अपने पुत्र की हरिभक्ति से तंग आकर उसे मरवाने की बड़ी कोशिशें की, लेकिन ईश्वर कृपा से वह बार-बार बच जाता था। अंत में वह प्रहलाद को मारने का जघन

सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी 2022saraswati puja 2022

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  सरस्वती पूजा, saraswati puja 2022 सरस्वती पूजा, 2022, 05 फरवरी, दिन शनिवार सरस्वती पूजा कब मनाया जाता है। सरस्वती के कितने नाम सरस्वती पूजन सामग्री मां सरस्वती की महिमा सरस्वती पूजा से लाभ विद्या बुद्धि की देवी सरस्वती संगीत की देवी सरस्वती सरस्वती की मूर्ति में वीणा, पुस्तक, हंस, स्फटिक ,कमल का अर्थ वर्तमान में सरस्वती पूजा का स्वरूप, सरस्वती पूजा कब मनाया जाता है। इस वर्ष 05 फरवरी दिन शनिवार को  सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त है। विद्या,ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी की आराधना सरस्वती पूजा है। यह माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। मां सरस्वती को आद्या, गिरा, ईश्वरी, भारती, ब्रह्मी, भाषा, महाश्वेता, वाक् वाणी, वागीशा , विधात्री, वागीश्वरी, वीणापाणि,  शारदा, जगत व्यापिनी, पुस्तक धारिणी , ब्रह्म विचार सार परमा आदि कई नामों से पुकारा जाता है ।  ऋतुराज बसंत के शुभ आगमन से प्रकृति की समस्त बल्लरियां नवजीवन को गतिमती हो उठती हैं। आम्र, अशोक के कोमल किसलय की लालिमा युक्त हरियाली वातावरण में नवजीवन का संकेत देती है। कनेर, सेमल, चंपा, पलाश, मटर, तीसी,  सरसों, गुलाब आदि के फूलों

लक्ष्मी जी के साथ क्यों करते हैं गणेश जी की पूजा !

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लक्ष्मी जी के साथ क्यों करते हैं गणेश जी की पूजा, Lakshmi ke saath kyon karte hai ganesh ki puja आप क्या जानते हैं, लक्ष्मी जी के साथ क्यों करते हैं गणेश जी की पूजा। नहीं! तो आज जान लीजिए। यदि आप घर में सुख समृद्धि और शांति लाने के इच्छुक हैं तो माँ लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की पूजा अर्चना करेंगे। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार लक्ष्मी जी को इस बात का घमंड हो गया कि सभी संसार उनकी पूजा करता है और उन्हें पाने के लिए लालायित रहता है। यह बात को विष्णु भगवान समझ गए। उन्होंने माँ लक्ष्मी से कहा, भले ही सारा संसार आपको पूजता है और पाने के लिए लालायित रहता है, लेकिन अभी तक आप पूर्ण नहीं हैं। आप में एक बड़ी कमी है। इस बात से माता लक्ष्मी बड़ी उदास हुईं। वह दुखी मन से अपनी सहेली पार्वती जी के पास अपने मन की बात बताई। माता पार्वती जी लक्ष्मी जी के दुःख को दूर करने के लिए अपने पुत्र गणेश जी को लक्ष्मी जी की गोद में डाल दी। तब से गणेश जी लक्ष्मी जी के दत्तक पुत्र माने जाने लगे। लक्ष्मी जी इस बात से बहुत खुश हुई। मैं उसी के पास जाऊंगी। उन्होंने वरदान देते हुए कहा, जो व्यक्ति मेरे पुत्र गणेश के साथ मे

Sharad Purnima,शरद पूर्णिमा

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शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर, 2021 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस लेख में शरद पूर्णिमा के बारे में जानकारी प्राप्त करें।  यूं तो हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने के पूर्णिमा को पवित्र दिन माना गया है, लेकिन शरद पूर्णिमा यानी अश्विन मास के पूर्णिमा को बहुत पवित्र माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसका पवित्रता के निम्नलिखित कारण है ---        चन्द्रमा से अमृत की वर्षा शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ आकाश में विराजमान रहता है। इस दिन यह पृथ्वी के सबसे निकट रहकर पृथ्वी पर अमृत की बूंदे बरसाता है। इसलिए दूध में बने खीर रात्रि के समय खुले आसमान के नीचे रखने की खाने की परंपरा है। दूध को भी अमृत माना गया है। खीररण    को आकर्षित करता है। ऐसी मान्यता है कि रात्रि के समय खुले आसमान के नीचे खीर खाने से मनुष्य बलवान और निरोग बना रहता है।      धन की देवी माता लक्ष्मी का धरती पर आगमन ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी का पृथ्वी पर शुभ आगमन होता है। वह रात्रि में अपने भक्तों के घर-घर जाना यह देखती है कि रात्रि जागरण द्वारा कौन-

स्वतंत्रता दिवस (Independence day) 2022

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स्वतंत्रता दिवस पर निबंध, भाषण, independence day 76 वां स्वतंत्रता दिवस ( अमृत महोत्सव ) Table of contents 1. प्रस्तावना 1.2. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1.3. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह, महारानी लक्ष्मीबाई 1.4 स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य महान सेनानी  महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, आदि 1.5 स्वतंत्र भारत की चुनौतियां नहीं चाहते हम धन दौलत,                                        नहीं चाहते हम अधिकार।                                          बस स्वतंत्र रहने दो हमको।                                      और स्वतंत्र कहे संसार।।                                                                                                                    15अगस्त 1947 भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम दिन है जब जब हमारा देश विदेशी दासता के जालिम पंजो से आजाद हुआ था। स्वतंत्रता  दिवस कई कारणों से महत्वपूर्ण, प्रेरणादायक और महान पर्व है। स्वतंत्रता का मूल्य धन दौलत नहीं बल्कि  प्राणों की आहुति देकर चुकाना  पड़ता है। कई - कई पीढ़ियों  तक लोगों को  जुल्म की चक्की में पीसना पड़ता

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (गोकुल धाम में) Gokul me Shree Krishna janmotsav

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Shree Krishna janmotsav Gokul dham me श्री कृष्ण जन्मोत्सव गोकुल धाम में  नन्दस्त्वात्मज उत्पन्नेजाताह्लदो महा।                             आह्यविप्रान वेदज्ञान सरनाम: शुचिरलंकृत:।।                   भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में मध्य रात्रि को हुआ। सारे पहरेदार सैनिक सो गए। वासुदेव जी की बेड़ियां अपने आप खुल गई। वे नवजात शिशु को लेकर यमुना पार गोकुल गांव में अपने मित्र संबंधी नंदलाल जी की पत्नी यशोदा के पास छोड़ आए। यह सभी निद्रा अवस्था में थे। किसी को भी भगवती योग माया की इस लीला का जरा भी ज्ञान नहीं हुआ।                                                                          प्रातः होने पर नंद के घर पुत्र जन्म की बधाइयां का ताता लग गया। यशोदा जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है यह सुनकर गोपियों को भी बड़ा आनंद हुआ। उन्होंने सुंदर सुंदर वस्त्र आभूषण धारण कर यशोदा जी को बधाइयां देने जाने लगी। उनके मुख मंडल पर अद्भुत आनंद की शोभा चमक रही थी। उनके सिंगार और केशु में गुथे फूलों के पराग से मार्ग में एक अद्भुत सुगंधी का संचार हो रहा था। नंद जी इस सुंदर अवसर पर बड़े प्रसन्न