चेतक ( कविता ) Chetak horse


 

चेतक कविता, Chetak Poem, Chetak horse, चेतक घोड़ा

Maharana Pratap and Chetak 🐎 horse

रण बीच चौकड़ी भर-भर कर

Run beech chaukri bhar bhar kr
Chetak kavita ke kavi kaun hain 

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महाराणा प्रताप और चेतक


भारत के इतिहास में अरावली का शेर महाराणा प्रताप की वीरता और दिलेरी के किस्से जितने मशहूर हैं, उतने ही किस्से उनके प्रिय घोड़े चेतक की वीरता, वफादारी और समझदारी के भी प्रसिद्ध हैं।

चेतक नीले रंग का अफ़गानी घोड़ा था। चेतक महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा था। महाराणा उसे अपने पुत्र की तरह चाहते थे और चेतक भी उनका स्वामी भक्त था। हल्दी घाटी के प्रसिद्ध युद्ध में चेतक की बहादुरी का जैसा वर्णन कवि श्याम नारायण पाण्डेय ने किया है वह बिल्कुल यथार्थ है।

हल्दी घाटी के युद्ध में चेतक तो घायल था ही, फिर भी वह अपने स्वामी को लेकर दौड़ रहा था। अचानक सामने 21 फीट चौड़ी नदी आ गई। चेतक बड़ी बहादुरी से महाराणा प्रताप की जान बचाने के लिए नदी तड़प गया। 21 जून 1576 को चेतक प्रताप से अलविदा लेकर स्वर्ग चला गया लेकिन उसकी कमी महाराणा प्रताप को जीवन  भर खलती रही।वह चेतक की मृत्यु पर बहुत रोये। हल्दी घाटी के राज समद में चेतक की समाधि है जहां आज भी लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।


१.कविता २। शब्दार्थ ३। भावार्थ ४। प्रश्नोत्तर 

1.कविता                                    चेतक

चेतक
चेतक chetak horse 🐎

रण  बीच चौड़ी भर-भरकर  
चेतक बन गया निराला था,  राणा प्रताप के घोड़े से पर गया हवा का पाला था। 

गिरता न कभी चेतक तन पर। राणा प्रताप का कोड़ा था। वह दौड़ रहा अरि मस्तक पर,   या आसमान पर घोड़ा था। 

जो तनिक हवा से बाग हिली, लेकर सवार उड़ जाता था। राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था। 

   कौशल दिखलाया चालों में, उड़ गया भयानक भालों में।

निर्भीक हो वह ढालों में, सरपट दौड़ा करवालों में।  

हय यहीं रहा अब वहां नहीं , वह वहीं रहा अब वहां नहीं। थी जगह  न कोई जहाँ नहीं,   किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं।

बढ़ते नद सा वो लहर गया, वो गया गया फिर ठहर गया। विकराल वज्र दल- सा। अरि की सेना पर घहर गया।  

भाला गिर गया, गिरा निषंग, हय टापों से खन गया अंग, बैरी समाज रह गया दंग, घोड़ों काऐसा देख रंग ।।        

    

शब्दार्थ

चौकड़ी-- कुलांचे मारना। तन - बदन। निसांग - तरकस हय - घोड़ा



 चेतक कविता का भाव    

कवि श्याम नारायण पाण्डेय हल्दीघाट के युद्ध में महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की वीरता का वर्णन करते हुए कहते हैं-- युद्ध के मैदान में चेतक हवा से भी तेज दौड़ कर दुशमनों के छक्के छुड़ा रहे है। शत्रु परेशान हैं। महाराणा प्रताप के इशारे पर वह तुरंत हवा से बातें करने लगता था। या तो वह शत्रु के मस्तक पर या आकाश पर पैर रखकर दौड़ लगाता था। भाला चले या तलवार, कहीं भी जाने से वह डरता नहीं था। दुशमनों के बीच घुसकर भीड़ को रौंदते हुए आगे बढ़ जाता था। चेतक ऐसा फुर्तीला घोड़ा था जो   अभी यहाँ है और देखता-देखता ही वहाँ गया है। युद्ध के दौरान ऐसा कोई स्थान नहीं बचा है जहां चेतक नहीं है।   

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  बड़े नद सा वह उठ जाता है। कभी-कभी विकराल वज्रमयी बादल बनकर अरी सेना पर टूट पड़ता है। चेतक की वीरता देखकर शत्रु दंग रह जाते थे।   

प्रश्न उत्तर

१.चेतक कौन था ?

उत्तर - चेतक राणा प्रताप का घोड़ा था।

२.चेतक को निराला क्यों कहा गया है?

उत्तर-- निराला उसे कहते हैं जो अद्भुत हो। बेजोड हो। चेतक बेजोड घोड़ा था। वह युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ा देता था।

३.राणा प्रताप का कोड़ा कभी चेतक के शरीर पर क्यों नहीं गिरता था?

उत्तर-चेतक बहुत समझदार घोड़ा था। वह अपने मालिक के इशारे को तुरंत समझ गया था। इसलिए महाराणा प्रताप को कभी कोड़ा उठाने की जरूरत नहीं थी।

4.  इस कविता के कवि का नाम होगा।                       उत्तर - कविता के कवि का नाम श्याम नारायण पाण्डेय है।

5. चेतक को नद सा क्यों कहा गया है ?

उत्तर -  जिस तरह बड़ा नदी अपने वेग में सबकुछ बहा कर ले जाता है उसी तरह चेतक जिधर जाता उधर दुश्मन साफ हो जाते थे। इसलिए चेतक को नद सा कहा गया है। चेतक को देखते ही दुश्मनों का दिल कांप उठता था। उन्हें अपनी मृत्यु नजदीक दिखाई देने लगती थी।


5. चेतक किस तरह अपने स्वामी के संकेत पर कौशल दिखलाता था ?


उत्तर -  जैसे ही उसके स्वामी का संकेत मिलता, चेतक उन्हें लेकर दौड़ जाता था। किधर जाना है, वह स्वामी के मन: स्थिति को समझ कर उधर ही चल देता था। वह अपने स्वामी को अपनी जान से भी बढ़कर चाहता था।


 6. रण बीच चौकड़ी भर-भर कर का क्या आशय है ?

उत्तर - रण का अर्थ है युद्ध। रण बीच चौकड़ी का आशय है युद्ध के मैदान में चारों ओर चक्कर लगाना। चारों तरफ दौड़ कर दुश्मनों का सफाया करना।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर चेतक कविता से 


1. चेतक कविता के कवि कौन हैं ?

उत्तर - श्याम नारायण पाण्डेय

2. घोड़ा का पर्याय वाची शब्द लिखे।

उत्तर - हय, घोटक।

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डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।



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