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Uttrakhand Chief minister Mahalakshmi Yojna

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 उत्तराखंड मुख्य मंत्री महालक्ष्मी योजना , Uttrakhand Chief minister                    Mahalakshmi Yojna उत्तराखंड का नाम भारत के ऐसे राज्यों में लिया जाता है जो लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है। प्रदेश के विकास में वहां के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व का भी बहुत बड़ा हाथ है। केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड में  एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं की स्वीकृति प्रदान कर प्रदेश के विकास के मार्ग को प्रशस्त किया है। मुख्यमंत्री  महालक्ष्मी योजना मां और बच्चे दोनों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के अवसर पैदा करने की दिशा में एक सार्थक पहल है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना शुरू की है जिसके तहत पहली दो कन्याएं अथवा जुड़वां कन्याओं के जन्म पर मां और नवजात कन्या को ' मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट ' प्रदान की जा रही है। इस योजना का लक्ष्य मां और बच्चे का पालन-पोषण कर स्वस्थ्य राज्य का निर्माण करना है। यह सच है कि किसी भी राष्ट्र के नवनिर्माण में वहां के नवजात शिशु और मां का विशेष योगदान होता है। स्वस्थ बच्चे ह

Mannar ki khadi, मन्नार की खाड़ी

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 मन्नार की खाड़ी;  Mannar gulf खाड़ी किसे कहते हैं ? What is gulf, khadi kise kahte hai, मन्नार की खाड़ी किस राज्य में स्थित है, मन्नार की खाड़ी में अभ्यारण्य, रामेश्वर मंदिर, तुतूकोडि बंदरगाह। Mannr ki khari kis rajya me hai, mannr ki khari  खाड़ी किसे कहते हैं ? समुद्री पानी के जलाशयों को खाडी कहते हैं जहां सागर या महासागर हो लेकिन वहां बहुत दूर तक धरती का घेरा हो। मन्नार की खाड़ी भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है। खाड़ी के द्वार पर ही तटवर्ती शहर तिरूचेंदूर बसा है। यहां पर भगवान सुब्रमण्यम या मुरुग का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका द्वार समुद्र की ओर खुलता है। कहा जता है कि मूल मंदिर हजार साल पहले बना था लेकिन लगभग 300 वर्ष पहले नया विशाल मंदिर बनवाया गया जिसका गोपुर 9 मंजिला है। यहां दूर-दूर से भक्त कावर लेकर आते हैं। भारत का दसवां बंदरगाह तिरुचेंदूर से कुछ दूर तुतूकुडि अथवा ट्यूटोकोरिन बंदरगाह है। सन् 1974 में इसे भारत का दसवां बंदरगाह घोषित किया है। तमिल नाडु देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें दो बड़े बंदरगाह हैं। इसके उत्तर और दक्षिण में दो बड़ी समुद्री दीवारें हैं जो लहरों से बंदरग

हमारा पड़ोसी देश : नेपाल, Hamara parosi desh Nepal

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  दोस्तों ! भारत के उत्तर दिशा में हमारा पड़ोसी देश नेपाल पर्वतराज हिमालय की गोद में बसा हुआ एक सुंदर और छोटा देश है। शिखरों का देेश नेपाल की सुन्दरता अद्भुत है। इस लेख में आज हम विश्व के मानचित्र पर इसकी स्थिति, राजधानी काठमांडू, इतिहास, रहन - सहन, पर्यटन - स्थल, प्राकृतिक - सौंदर्य, धर्म, भाषा और भारत के साथ गहरे रिश्तों का वर्णन करते हैं। Table of contents 1. About Nepal, नेपाल के बारे में सामान्य परिचय 2. Kathmandu, the capital of Nepal, काठमांडू, नेपाल की राजधानी 3. History of Nepal, नेपाल का इतिहास  4.Living style, language, religion, employment of Nepalis, नेपाल के लोगों का रहन सहन, धर्म, भाषा, एवं रोजगार 5. Tourist places in Nepal, नेपाल में पर्यटन स्थल        About Nepal, नेपाल के बारे में हमारा पड़ोसी देश नेपाल शिखरों के देश के नाम से जाना जाता है। यह समुद्र तट से 8000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां संसार के 14 शिखरों में 8 शिखर नेपाल में ही स्थित हैं। नेपाल के उत्तर में चीन और दक्षिण में भारत है। इसके भू- भाग पूर्व से पश्चिम 885 किलोमीटर और  उत्तर से दक्षिण 193 किलोमीटर मे

Raja Puru ( Porus ) and Sikandar, राजा पुरू ( पोरस) और सिकन्दर की कहानी

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 Raja Puru ( Porus ) and Sikandar, राजा पुरू ( पोरस) और सिकन्दर की कहानी Table of contents 1.सिकन्दर कौन था ? 2. केकय राज्य और राजा पुरू 3. पुरू के अन्य दरबारी 4. पुरू सिकन्दर युद्ध 5.पुरू सिकन्दर युद्ध के परिणाम 6. पुरु की मृत्यु। Sikandar kaun tha Kekay rajya aur raja Puru Puru ke darbari Battle of Puru and Sikandar Results of Puru and Sikandar battle Death of Puru  सिकन्दर कौन था यूनान देश का यवन शासक सिकन्दर बहुत क्रूर और घमंडी था। उसनेे विश्व विजय का दंभ भरते हुए ख़ैबर दर्रा के रास्ते ई पू 326 में भारत पर आक्रमण किया था। उस समय भारत के उत्तर पश्चिमी राज्य छोटे छोटे टुकड़ों में विभाजित थे। गंधार का राजा आंभी सिकन्दर से डरकर उसकी अधीनता स्वीकार कर लिया। उसने सोचा कि सिकन्दर आंधी की तरह आया है और कुछ ही दिनों में वापस चला जाएगा। इसलिए उससे पंगा लेना बुद्धिमानी नहीं है। इसलिए आंभी ने बड़ी आसानी से सिकन्दर की सारी शर्तें मान ली। केकय राज्य और राजा पुरू केकय राज्य पंजाब में झेलम नदी और चिनाव नदी के मध्य में झेलम, गुजरात और शाहपुर जिले तक फैला हुआ था। भारत के पश्चिमोत्तर सीमा पर केकय एक

Yaas Toofan kya hai in hindi, यास चक्रवात क्या है,यह कहां टकराएगा।

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 Yaas Toofan kya hai in hindi, यास चक्रवात क्या है,यह कहां टकराएगा। Table of contents 1.यास चक्रवात क्या है ? इसका नाम कैसे पड़ा? 1.2 यास चक्रवात कैसे बना ? 1.3 यास चक्रवात कहां कहां पहुंच सकता है ? 1.4 यास चक्रवात के मार्ग क्या हो सकते हैं ? 1.5 यास चक्रवात से बचने के उपाय और सावधानियां। 1.6 यास चक्रवात की गति ‌। 1.6 यास चक्रवात से प्रभावित होने वाले भारतीय राज्य। 1. यास चक्रवात ( तूफान ) क्या है ? इसका नाम का अर्थ क्या है? यह नाम कैसे पड़ा ? भारत के पश्चिमी तट पर ताऊते नामक चक्रवाती तूफान के तबाही के बाद अब देश के पूर्वी तट पर एक और तूफान " यास " का खतरा मंडराने लगा है। आपको बता दें कि मौसम वैज्ञानिकों ने इसे ताऊते से भी अधिक शक्तिशाली होने की संभावना जताई है। इससे होने वाले नुक़सान की आसंका से उच्च अधिकारी काफी तैयारियों में जुटे हैं। यास का अर्थ निराशा होता है। वास्तव में चक्रवाती तूफान के नामकरण की भी एक अन्तर्राष्ट्रीय संधि है। हिंद महासागर के आठ देशों ने भारत के पहले पर  2004 ई में एक संधि पर हस्ताक्षर किए। ये सदस्य देशों के नाम हैं -- भारत, बांग्लादेश, म्यानमार, श्रील

A biography of Sister Nivedita, भगिनी निवेदिता का जीवन परिचय

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 A biography of Sister Nivedita, भगिनी निवेदिता का जीवन परिचय । भारत में योगदान। स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता भगिनी निवेदिता एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर मन में एक ऐसी दया, करुणा और मानवता की प्रतिमूर्ति अंकित हो जाती है जिसके आगे हमारा मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है। उन्होंने विदेश में जन्म लेने के बाद भी भारत की गरीबी और इसके गुलामी को बखूबी समझते हुए इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया। स्वामी विवेकानन्द जी की शिष्या भगिनी निवेदिता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रेरणा स्रोत थी। सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले, विपिन चन्द्र पाल, अरविंद घोष जैसे प्रमुख नेता उनके मित्र थे, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी भी उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते थे। विषय सूची भगिनी निवेदिता का जन्मदिन भगिनी निवेदिता का असली नाम भगिनी निवेदिता के माता-पिता भगिनी निवेदिता का स्वामी विवेकानंद जी से भेंट। भगिनी निवेदिता का भारत आगमन भगिनी निवेदिता द्वारा विद्यालय की स्थापना भगिनी निवेदिता द्वारा प्लेग पीड़ितों की सेवा भगिनी निवेदिता का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान भगिनी निवेदिता का महाप्रयाण सिस्टर न

अगस्त क्रांति August Kranti

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  अगस्त क्रांति (August Kranti ) अगस्त क्रांति क्या थी ? 26 अप्रैल 1942 को क्या हुआ ? हरिजन पत्र के बारे में बताएं। भारत छोड़ो आंदोलन का नारा किसने दिया ?  9 अगस्त 1942 को क्या हुआ ? क्रिप्स योजना के असफल होते ही सारे देश में विद्रोह और असंतोष की लहर फैल गई। इस संबंध में गांधी जी ने 26 अप्रैल 1942 को ' हरिजन ' पत्र में कहा कि यदि अंग्रेजों ने भारत को उसके भाग्य के भरोसे सिंगापुर की तरह छोड़ भी दिया तो अहिंसक भारत को इससे कोई भी हानि न होगी। उन्होंने इसी पत्र में भारत छोड़ो का नारा दिया था। भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी जी के ' भारत छोड़ो ' नारे के महत्व को सबने एक स्वर से स्वीकार कर लिया। 14 जुलाई, 1942 को वर्धा में एक स्वर से सभी ने भारत छोड़ो का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया कहा गया कि भारत में ब्रिटिश शासन का अंत शीध्र होना चाहिए। 8 अगस्त 1942 को ' भारत छोड़ो ' का नारा बुलंद करने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति की एक बैठक मुंबई मैं बुलाई गई। गांधी जी ने अपने भाषण में यह घोषणा की, कि इस क्षण से आप में से हर एक अपने को आजाद आदमी या आजाद औरत समझे। हम भारत को

पूजा में कैसा जल का उपयोग करें।

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 पूजा में कैसा जल का उपयोग करें। 1. पूजा का अर्थ 2. पूजा का समय 3. पूजा  करने का स्थान 4 पूजा का जल 5 निष्कर्ष भारत आस्था और विश्वास का देश है। ऐसी आस्था और ऐसा विश्वास की देवी देवताओं की बात और , यहां पेड़ पौधे, ईंट पत्थरों  को भी भगवान मानकर पूजा जाता है। गाय को गो माता और बैल को भगवान की सवारी मानते हैं। यहां भिन्न भिन्न प्रकार के धर्म और धर्मावलंबी रहते हैं और अपने अपने आराध्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं। पूजा के लिए कितने प्रकार की सामग्री की आवश्यकता होती है, उनमें पूजा का जल सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। तो आइए , पूजा का जल कैसा हो , इस पर विचार करें 1. पूजा का अर्थ  पूजा का क्या अर्थ है। पूजा को अराधना, अर्चना इबादत , वरशिप आदि कितने नाम से जाना जाता है। परन्तु सभी का मूल अर्थ है संपूर्ण भाव से समर्पण और निष्ठा। अपने आप को अपने अराध्य देव को संपूर्ण रूप से समर्पित कर देना। शास्त्रों में नौ प्रकार की भक्ति बताती गई है।।इसे नवढा भक्ति कहा जाता है। 2. पूजा का समय  आपके मन में यह प्रश्न बार बार आता होगा कि वह पूजा का उचित समय कब होना चाहिए। भाई पूजा का कोई निश्चित समय नही

सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी 2022saraswati puja 2022

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  सरस्वती पूजा, saraswati puja 2022 सरस्वती पूजा, 2022, 05 फरवरी, दिन शनिवार सरस्वती पूजा कब मनाया जाता है। सरस्वती के कितने नाम सरस्वती पूजन सामग्री मां सरस्वती की महिमा सरस्वती पूजा से लाभ विद्या बुद्धि की देवी सरस्वती संगीत की देवी सरस्वती सरस्वती की मूर्ति में वीणा, पुस्तक, हंस, स्फटिक ,कमल का अर्थ वर्तमान में सरस्वती पूजा का स्वरूप, सरस्वती पूजा कब मनाया जाता है। इस वर्ष 05 फरवरी दिन शनिवार को  सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त है। विद्या,ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी की आराधना सरस्वती पूजा है। यह माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। मां सरस्वती को आद्या, गिरा, ईश्वरी, भारती, ब्रह्मी, भाषा, महाश्वेता, वाक् वाणी, वागीशा , विधात्री, वागीश्वरी, वीणापाणि,  शारदा, जगत व्यापिनी, पुस्तक धारिणी , ब्रह्म विचार सार परमा आदि कई नामों से पुकारा जाता है ।  ऋतुराज बसंत के शुभ आगमन से प्रकृति की समस्त बल्लरियां नवजीवन को गतिमती हो उठती हैं। आम्र, अशोक के कोमल किसलय की लालिमा युक्त हरियाली वातावरण में नवजीवन का संकेत देती है। कनेर, सेमल, चंपा, पलाश, मटर, तीसी,  सरसों, गुलाब आदि के फूलों