दीपावली, धनतेरसdeepawali, Dhanteras


Deepawali


दीपावली 2021 , 04 नवंबर को तथा धनतेरस 02 नवंबर को मनाया जाएगा।

दीपावली पर निबंध, deepawali nibandh, essay on deepawali in hindi


विषय - सूची

दीपावली क्या है
दीपावली क्यों मनाया जाता है।
दीपावली की कहानी।
नरकासुर का वध।
राम वापस अयोध्या आए।
दीपावली की शोभा।
धनतेरस का त्योहार।
धनतेरस पर खरीदारी
दीपावली पर सावधानी


दीपों का त्योहार दीपावली कार्तिक मास के अमावस्या को संपूर्ण भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। वर्षा ऋतु की गंध को साफ करने का अभियान भी दीपावली है। दीपावली के एक महीने पूर्व से ही लोग अपने घरों की सफाई करने में लग जाते हैं।

दीपावली की कहानी

भारतवर्ष के प्रत्येक त्योहारों में कोई ना कोई पौराणिक या ऐतिहासिक कथा कहानी अवश्य जुड़ी रहती है। दीपावली से जुड़ी भी कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार इसी दिन दशरथ नंदन श्री राम महा पापी रावण का सर्वनाश कर के अपने अनुज लक्ष्मण और पत्नी          सीता माता के साथ अयोध्या वापस आए थे। उनके सकुशल वापस अयोध्या आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाए थे और खुशियां मनाई थीं। तब से यह त्योहार धूमधाम से प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा।

एक दूसरी कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन महा पापी राक्षस नरकासुर का वध किया था। इसी दिन भक्तवत्सल भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का वध किया था और प्रहलाद की रक्षा की थी। इसी दिन समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी को मुगल कारागार से उसी दिन मुक्ति मिली थी। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती, जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर स्वामी महावीर और स्वामी रामतीर्थ जी का महानिर्वाण इसी दिन हुआ था। इस प्रकार दीपों का त्योहार दीपावली अपने कलेवर में कई कथाएँ समेटे हुए हैं।

दीपावली की शोभा

दीपावली की रात बड़ी मनोहारी होती है। चारों और दीपों की कतारें और रंग -  बिरंगी फुलझडियों से सारा वातावरण जगमगा उठता है। विभिन्न रंगों और आकार की मोमबत्तियाँ घर के दरवाजों को नए रूप प्रदान करती हैं। पटाखे और बिजली बल्ब भी दीपावली की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं।

भारतवर्ष कृषि प्रधान देश है। यहां हर त्यौहार में कृषि और कृषक की संपन्नता की झलक समाहित होती है। कार्तिक मास में रबी फसलें कट कट कर घर आंगन में आ जाती हैं। कोठियां चावल की सोंधी खुशबू से गम गामा उठती हैं। इसी समय दीपावली त्यौहार आता है।


दुकानदार बंधु के लिए यह त्योहार बड़ा महत्वपूर्ण है। वह सब अपनी-अपनी दुकानों की साफ सफाई के बाद मां लक्ष्मी की आराधना बड़ी निष्ठा से करते हैं। आज के दिन वे अपने नए खाते बही की शुरुआत करते हैं। घर के दरवाजों पर शुभ - लाभ लिखकर शुभ का प्रतीक स्वस्तिक चित्र भी बनाते हैं। बहनें घरौंदा बनाकर लक्ष्मी माता की पूजा करती हैं।

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धनतेरस

दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस आता है। अर्थात कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को धनतेरस (तेय धनवंतरी जयंती) मनाया जाता है। इस साल २०२१ को यह ०२ नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा।


दीपावली धनतेरस

धनतेरस के दिन धन्वंतरी देवी की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी दिन धनतेरस मनाया जाता है। धनतेरस की खरीदारी स्थिर लग्न में करना अच्छा होता है। हमारे शास्त्रों में संध्या काल से ब्रह्म मुहूर्त तक पूजा करने की परंपरा है। इस समय पूजा करने से व्यापार में धन की वृद्धि, सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। सोना - चांदी, पीतल, कासा सहित और वस्तुएं खरीदने की परंपरा है।

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दीपावली के साथ-साथ अन्य त्योहार,गोबरधन पूजा, भैया दूज

दीपावली के एक दिन बाद गोबर्धन पूजा और दूसरे दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा में गाय की पूजा होती है। भैया दूज में बहने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और गोधन कूटती हैं।


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दीपावली, धनतेरस

दीपावली पर सावधानी


दीपावली का त्यौहार हमें खूब सूझबूझ से मनाना चाहिए यह त्यौहार हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निष्ठा का प्रतीक है। एक और यह हमारी विजय गाथा का बखान करता है तो दूसरी ओर हमारी आर्थिक संपन्नता का बोध भी दिखाता है। यह त्यौहार मानव जाति को अंधकार से प्रकाश, असत्य से सत्य और मृत्यु से जीवन की ओर ले जाने वाला त्यौहार है। सा पृथ्वी तमसो मा ज्योतिर्गमय, असतो मा सत्गमय मृत्योर्ममृते ग्मय।


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