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नवंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रजनी, एकांकी , लेखिका मन्नू भंडारी, Rajni ,Mannu Bhandari

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  रजनी, एकांकी, लेखिका मन्नू भंडारी, Rajni, Mannu Bhandari रजनी सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध एकांकी है जिसमें विभिन्न विद्यालयों में ट्यूशन के नाम पर छात्रों के शोषण का जीवन्त वर्णन किया गया है। साथ ही  शासन - प्रशाासन की अकर्मण्यता  भी दर्शाया गया है।   यहां एकांकी का सारांश, प्रश्न उत्तर, शब्दार्थ और संदेश का वर्णन किया गया है जिससे पाठकों में जागरूकता पैदा हो। ग्यारहवीं कक्षा में इसका अध्यापन होता है। रजनी एकांकी का सारांश, रजनी एकांकी का पात्र परिचय, रजनी एकांकी पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ? रजनी पाठ का प्रश्न उत्तर, ग्यारहवीं कक्षा हिन्दी प्रश्न उत्तर, लेखिका मन्नू भंडारी का जीवन परिचय। शिक्षक ट्यूशन की लालच में छात्रों का शोषण कैसे करते हैं ? लेखिका मन्नू भंडारी का जीवन परिचय मन्नू भंडारी का असली नाम महेंद्र कुमारी था। इनका जन्म 1931 ई. में राजस्थान के भानपुरा नामक स्थान में हुआ था। नई कहानी के आंदोलन में इनका विशेष योगदान रहा है। इनकी कहानियों में पारिवारिक, सामाजिक और खाशकर नारी विसंगतियों को बड़ी बखूबी से उभारा गया है। रजनी एकांकी का सारांश रजन

इलाइची, (cardamon ) के लाभ

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 कौन ऐसा घर है जहां इलाइची नहीं हो। लेकिन बहुत कम ही लोग ऐसे हैं जो इस इलाइची के संपूर्ण फायदे से परिचित हो। तो आइए आज हम इलाइची के फायदे को विस्तार से जानकारी प्राप्त  करें। भोजन के पश्चात मुख शुद्धि के लिए इलाइची चबाने का प्रचलन बहुत पुराना है। इसका कारण और प्रयोजन जानते हैं आप ? इलाइची हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करता है और गरीष्ट से गरिष्ठ भोजन को आसानी से पचने में मदद करता है। इतना ही नहीं, यदि किसी का जी मिचलाता है अथवा ऊबकाई आती है तो मुंह में इलाइची चबाने से आराम मिलता है। इलाइची यौन और गुप्त रोगों से ग्रस्त लोगों को भी लाभ पहुंचाने में मदद करता है। रात में सोने के समय दूध में इलाइची को अच्छी तरह उबाल कर शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इलाइची के नियमित सेवन से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में भी लाभ होता है। इसका एंटी इंफेलेमेंटरी तत्व मुंह के कैंसर, त्वचा के कैंसर से बचाव करने में सहायक है। इलाइची में मैग्नेशियम, पोटैशियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।  हृदय रोगियों को भी इलाइची चबाने से बहुत लाभ मिलता है। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है साथ ही धड़कन को भी ठीक रखता है।

Tour of Haydrabad, हैदराबाद के दर्शनीय स्थल

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Tour of Haydrabad , हैदराबाद के दर्शनीय स्थल हैदराबाद का नामकरण , हैदराबाद का पुराना नाम , हैदराबाद कब जाएं , हैदराबाद कैसे पहुंचे ? चारमीनार का दर्शन, मोतियों का शहर हैदराबाद, गोलकुंडा किला, मक्का मस्जिद, हुसैन सागर झील का लुत्फ, बिरला मंदिर के दर्शन, चौमहल्ला पैलेस, रामोजी फिल्म सिटी, कुतुब के शाही मकबरे। मूसी नदी के तट पर बसा हैदराबाद शहर भारत के तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्य की राजधानी है और यह शहर मोतियों के शहर और निजाम के शहर के नाम से प्रसिद्ध है। यह भारत का छठा सबसे घनी आबादी वाला शहर है। हैदराबाद भारत का एक ऐसा शहर है जहां प्राचीन विरासत के साथ-साथ आधुनिकता के दर्शन होते हैं। यह शहर सपरिवार घूमने के लिए काफी अच्छा है जहां घूमने के साथ-साथ रंग बिरंगे लजीज व्यंजनों का भी आनंद मिलता है। आइए, इस लेख में हैदराबाद शहर के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करें। हैदराबाद शहर को किसने बसाया, हैदराबाद का नामकरण कुतुब शाह ने इस नगर को बसाया था और उसने अपनी प्रेमिका भागमति के नाम पर इस शहर का नाम भागनगर रखा। भागमति बंजारे परिवार से ताल्लुक रखती थी। आगे चलकर भागमति इस

ग्राम - श्री, कविता, ग्राम शोभा, Gram Shree , poem, , कवि सुमित्रानंदन पंत

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       ग्राम - श्री कविता                कवि - सुमित्रानंदन पंत             Gram - Shree Poem गांव की शोभा  ग्राम श्री कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत ने गांव के प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृद्धि का मनमोहक वर्णन किया है। यहां खेतों में दूर दूर तक हरियाली ही हरियाली है। कवि पंत प्रकृति के प्रेमी हैं। उनकी रचना कौशल की विशेषताएं यहां स्पष्ट देखी जा सकती है। पाठकों के हितों का ध्यान रखते हुए यहां ग्राम श्री कविता , कविता का भावार्थ , कठिन शब्दों के अर्थ तथा महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए जा रहे हैं ।  गांव की सुन्दरता कैसी होती है ? सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब और कहां हुआ था ? खेतों में कैसी हरियाली फैली है ?वसुधा कब रोमांचित लगती है ? तीसी की कली का रंग कैसा होता है ? अलसी क्या है ? ग्राम श्री कविता में किस ऋतु का वर्णन किया गया है ? कवि ने गांव को भरता जन मन क्यों कहा है ? मरकत के डिब्बे से क्या समझते हैं ?  NCERT solutions, Gram Shree poem summary, poet sumitranandan pant biography, beauty of village, beauty of field, MCQ poem Gram Shree poem, gram Shobha kavita, gram sabha poem summary, quest

संपर्क करें , contact me

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                    संपर्क करें ,  ( contact me )                Dr.Umesh Kumar Singh                     Dr. Umesh Kumar Singh                                            M.A. ( Hindi ) Ph- D        Founder and writer of www.bimalhindi.in                 Hindi blogs प्रिय पाठक, किसी विषय को लेकर कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, अथवा कुछ बातें शेयर करना चाहते हैं तो comments Box में लिखें अथवा email address पर लिखें।  हमें खुशी है कि आप का प्यार और सम्मान मुझे हमेशा की तरह मिल रहा है जिसके कारण हमारे ब्लॉग पर monthly views की संख्या अठारह से बीस हजार तक हो गई है। इसके लिए आपको  बहुत बहुत धन्यवाद। Advertisement और paid posts के लिए संपर्क करें kumarsinghumesh277@gmail.com इसके अलावा हमें, Facebook, instagram, twitter, you tube channel educational dr Umesh 277 , www.bimalbiography.xyz पर भी मिल सकते हैं। www.bimalhindi.in एक ऐसा ब्लॉग प्लैटफॉर्म है जहां हिन्दी भाषा में विभिन्न विषयों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। खाश कर हिन्दी भाषा और साहित्य के विद्यार्थियों के लिए विशेष सामग्री उप

किसबी, किसान, कवितावली tenth Hindi

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कवितावली, किसबी, किसान ---, NCERT solutions श्रीराम की कृपा का महत्व tenth Hindi  किसबी, किसान - कुल, बनिक, भिखारी, भाट,  चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।  पेट को पढत, गुन गढत, चढत गिरि,  अटत गहन - गन अहन अखेटकी।।  ऊंचे - नीचे करम, धरम - अधरम करि,  पेट ही को पचत, बेचत बेटा - बेटकी।  'तुलसी' बुझाइ एक राम घनस्याम ही ते,  आखिर बड़वागितें बड़ी है आगि पेटकी।। शब्दों के अर्थ किसबी - धंधा चलाने वाले। श्रमजीवी, मेहनत करने वाले। कुल - परिवार । बनिक - व्यापारी। भाट - चारण। चाकर - नौकर। चपल नट - बहुत तेजी से उछल कूद करने वाले कलाकार। चार - दूत। चेंटी - बाजीगर । गुन गढत - विभिन्न कलाएं और विद्याएं सीखना। गिरि - पहाड़। अटत -घूमता। गहन गन - घना जंगल। अमन - दिन । अखेटकी - शिकारी। अधरम - पाप। पचत - मरत। बुझाई - शांत करता है। घनस्याम - काला बादल। बड़वागितें - जंगल की आग से। आगि पेटकी - भूख। सप्रसंग व्याख्या प्रस्तुत पद पंक्तियां गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित कवितावली के उत्तर कांड से ली गई है । इन पंक्तियों में श्री राम की कृपा का वर्णन किया गया है। तुलसी दास जी कहते हैं -  मेहनत करने वाले मजद

महाभारत कथा में शाल्व के साथ श्रीकृष्ण का युद्ध, शाल्व की मृत्यु , Shalw ki kahani

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 शाल्व की कथा, शाल्व - श्रीकृष्ण युद्ध, shalw ki katha, shalw - Shree Krishna battle शाल्व कौन था ? रूक्मिणी कौन थी?   शाल्व किनकी तपस्या करने लगा ? शाल्व क्या वरदान मांगा ? शाल्व को किसने मारा ?   शाल्व शिशुपाल का परम सखा और मित्र था। रूक्मिणी के विवाह के समय जरासंध आदि राजाओं के साथ वह भी बारात आया था और यदुवंशियों के हाथों पराजित हुआ था। तभी उसने प्रतिज्ञा की थी कि वह यादवों का सर्वनाश कर देगा। इस तरह प्रतिज्ञा करके वह अपनी शक्ति वृद्धि के लिए भगवान आशुतोष शिव जी की तपस्या करने लगा। भगवान आशुतोष शिव जी उसकी मंशा भली भांति जानते थे इसलिए उन्होंने एक वर्ष तक शाल्व की घोर तपस्या पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन अंततः उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वर मांगने को कहा। उस समय शाल्व ने वरदान में एक ऐसा विमान मांगा जो देवता, नर, असुर, गंधर्व,नाग, मनुष्य आदि किसी से तोड़ा न जा सके। जहां इच्छा हो जा सके तथा यदुवंशियों के लिए अत्यंत ही भयानक हो। भगवान ने उसे ऐसा ही वरदान दे दिया। तब मय दानव ने भगवान शिव की आज्ञा से लोहे का सौभ नामक विमान बनाकर शाल्व को दे दिया। वह विमान क्या , एक नगर ही था। उसे पकड़न

सिद्धार्थ का गृह - त्याग, Siddharth ka grih tyag

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  सिद्धार्थ का गृह त्याग , Siddharth ka grih tyag Mahatma Buddha ka jiwan, Mahatma Buddha ke updesh , Buddha Dharm  महात्मा बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु में हुआ था। उनके पिता महराज शुद्धोधन कपिलवस्तु के राजा थे। राजकुमार सिद्धार्थ सिद्धि  प्राप्त करने के लिए अपने घर का त्याग किया था। वे भूखे - प्यासे वन - वन भटकते रहे, अंत में उन्हें बोधगया में बोधी वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए ज्ञान की प्राप्ति हुई उन्होंने अहिंसा का उपदेश दिया। आइए, इस समय हम सिद्धार्थ के गृह त्याग संबंधी प्रसंग का अध्ययन करें। महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय, महात्मा बुद्ध का संदेश, महात्मा बुद्ध का उपदेश, महात्मा बुद्ध का जन्म कहां हुआ। महात्मा बुद्ध के पिता कौन थे ? सिद्धार्थ कौन थे ?  Siddharth kaun the, सिद्धार्थ किनका नाम था ? सिद्धार्थ के पिता कौन थे ? सिद्धार्थ के जन्म के समय किसने भविष्यवाणी की थी ? महर्षि आसित ने क्या भविष्यवाणी की थी ? यशोधरा कौन थी? सिद्धार्थ कहां के राजकुमार थे ? सिद्धार्थ के पुत्र का क्या नाम था ? बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे ? सिद्धार्थ के जन्म के समय ही उस समय के प्रसिद्ध भविष्य ज्ञाता महर्ष

हिंदू मान्यताओं के अनुसार जन्म दिन कैसे मनाएं

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हिंदू मान्यताओं के अनुसार जन्म दिन मनाने का विधान। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जन्म दिन इस प्रकार मनाया करें-- Celebrate birthdays according Hindu belief  आधुनिक काल का दौर और पाश्चात्य संस्कृति की देखा-देखी में हम अपनी सनातन संस्कृति को भूलने पर तुले हैं। इसलिए जन्म दिन मनाने के तौर-तरीकों में भी प्रयाप्त अंतर आ गया है। जन्म दिन कैसे मनाएं जिससे हम दीर्घायु हों और हमारा जीवन सुखमय हो, आइए देखते हैं। 1. जिसका जन्म दिवस मनाया जाए उसे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। पूजा पाठ करें और अपने इष्ट देव से आशीर्वाद प्राप्त करें,। 2. देवार्चन - दीप प्रज्वलन, पूजन, हवन, यज्ञ करके बालक / बालिका का तिलक करें। प्रयास हो कि जन्म दिन दिन के उजाले में सम्पन्न हो, देर रात में जगना और जन्म दिन मनाना बिल्कुल अनुचित है। 3. दान संकल्प - ( उपहार न लेकर ) सामर्थ के अनुसार दान देना चाहिए। गरीब और अनाथों को भोजन वस्त्र प्रदान करने का प्रयास करें। 4. गौ ग्रास - गाय हमारी श्रद्धा का केंद्र है। इसलिए गाय को गौ ग्रास खिलाना चाहिए। गोशाला जाएं और दान दें। 5. वृक्षारोपण - जन्म दिवस पर एक या एक से अधिक पौधे अव