बूढ़ा बाघ और बटोही

  

बूढ़ा बाघ और बटोही, Budha Bagh aur batohi, लालची पथिक की कहानी, लालच बुरी बात।

Budha bagh aur batohi

 यह कहानी एक ऐसे लालची पथिक की है जो यह जानते हुए कि बाघ हिंसक पशु होता है, फिर भी उसकी मीठी बातों में आकर अपनी जान गंवा देता है। इसलिए अपनी बुद्धि और विवेक का सदा इस्तमाल करें और किसी ठग की मीठी मीठी बातों में न आए।

बहुत पहले की बात है। किसी वन में एक बूढ़ा बाघ रहता था। अत्यधिक बुढ़ापे के कारण वह मनुष्य और पशुओं को मारकर खाने में असमर्थ हो गया था। उसने यह सोच कर दानी बनने का स्वांग रचा। वह प्रतिदिन एक सरोवर के किनारे हाथ में कुश लेकर भगवान का नाम जपता और उस तरफ से गुजरने वाले पथिकों से कहता --- "  हे पथिक !  इस सोने के कंगन को ले जा। इससे तुम्हारी गरीबी दूर हो जाएगी।

बाघ की बातें सुनकर एक पथिक को लोभ हो गया। उसने सोचा , ऐसी बातें  भाग्य से ही होती हैं। क्यों न भाग्य को आजमाया जाए।

फिर सोचा, इसमें खतरा भी कम नहीं है। धन पाने में खतरा तो रहता ही है। डरना नहीं चाहिए। एक बार अपने भाग्य की परीक्षा लेने में क्या नुकसान है।

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बटोही ने कहा, तुम्हारा कंगन कहां है ?  बाघ ने दायां हाथ फैलाकर सोने का कंगन दिखा दिया। बटोही ने कहा, तुम जैसे हिंसक पशु पर विश्वास कैसे करें।

बाघ ने कहा, हे ब्राह्मण बटोही ! मैंने पहले बहुत हिंसाएं की हैं। बहुत जीवों को मारकर खाया है। इसका परिणाम मुझे मिल गया है। मेरी पत्नी और बच्चे मर चुके हैं। भरे ना दंत गल गए हैं। मैं अकेला बुढ़ापा काट रहा हूं ‌। अब पाप का प्रायश्चित करना चाह रहा हूं।

उसने और कहा, इसी वन में एक साधु ने मुझे उपदेश

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 दिया है कि सरोवर में स्नान करके दान दो और पाप का प्रायश्चित करो।

पथिक ने संशय भरे शब्दों में कहा, पहले तो कभी बाघ पूजा पाठ और दान धर्म करते नहीं देखे गए।

बाघ ने बताया, मेरे दांत और नाखून गिर गए हैं। मुझे पर विश्वास करो। तुम गरीब ब्राह्मण हो, मुझसे दान लेकर मुझे आशीर्वाद प्रदान करने की कृपा करें।

अब बटोही ने बूढ़े बाघ की बातों पर विश्वास कर लिया।उसे लोभ ने पूरी तरह जकड़ लिया था। इसलिए वह बाघ के स्वभाव पर पूरी तरह विचार नहीं किया। वह बाघ के कहने पर सरोवर में स्नान करने उतरा क्योंकि बाघ ने कहा कि स्नान के बाद ही दान लेना उत्तम होता है। जैसे ही पथिक सरोवर में उतरा, वह गहरे कीचड़ में फंस गया।

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उसे कीचड़ में फंसा हुआ देखकर बाघ खुश हो गया और बोला, घबराओ नहीं बटोही, मैं तुम्हें इस कीचड़ से निकल देता हूं।

बाघ अपने छल की सफलता पर हंस रहा था। पथिक भय से कांप रहा था और सोच रहा था कि लोभी की यही गति होती है। बाघ ने उसे अपना भोजन बना दिया।


प्रश्न उत्तर

1. बूढ़े बाघ ने क्या उपाय सोचा ? 

उत्तर - बूढ़े बाघ ने सोचा, क्यों न लालची मनुष्य को शिकार बनाया जाय। इसके लिए उसने एक पंक भरे तालाब के किनारे बैठ गया और हाथ में सोने का कंगन लेकर पथिको को फंसाकर खाने लगा।

२. इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर - हमें कभी भी हिंसक पर विश्वास नहीं करना चाहिए। कभी लालच नहीं करना चाहिए।

3. क्या पथिक लालची था ?

उत्तर - हां , पथिक लालची था।

डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।

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