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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अमरकंटक की यात्रा Amarkantak Yatra

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हमारा  पड़ोसी देश नेपाल, क्लिक करें और देखें   अमरकंटक की यात्रा Amarkantak Yatra अमरकंटक, अमरकंटक किस राज्य में है। अमरकंटक का रहस्य, अमरकंटक से निकलने वाली नदियां,  Amarkantak, amarkantak kis rajya me hai. Banga adivasi  अमरकंटक भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य में एक ऐसा पर्वतीय और वन्य प्रदेश है जहां से दो पवित्र नदियां निकलती हैं। एक सोन और दूसरी नर्मदा। नर्मदा के उद्गम स्थल होने के कारण इस स्थान का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। अनेक पर्यटक यहां सालो भर घूमने आते हैं। आइए हम अमरकंटक की सुन्दरता और इसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानें। कटनी से बिलासपुर जाने वाली रेललाइन पर पेंडरा रोड स्टेशन है। घने जंगल और पहाड़ों के कारण रास्ता कठिन और दुर्गम है।  पेंडरा रोड स्टेशन से बस द्वारा जाने से अमरकंटक चालीस किलोमीटर पड़ता है। रास्ते के दोनों ओर ताड़ के पेड़ की तरह लम्बे लम्बे सराई नामक वृक्षों के वन हैं। टेढ़े-मेढ़े रास्तों के किनारे कल कल , छल छल करतीं नदी नाले मन को मोह लेते हैं। महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूत में आम्रकूट नामक पर्वत का उल्लेख है। यहां का अनुपम सौन्दर्य देखकर तो यक्ष

होम आइसोलेशन किसे कहते हैं, home Isoletion

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 Home Isoletion करोना की दूसरी लहर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। खासकर भारत के कुछ राज्यों में तो स्थिति अत्यंत भयावह हो गई है। स्थिति ऐसी बन गई है कि बदलते मौसम के कारण भी थोड़ी नाक बही या खांसी होने पर अफरातफरी मच जाती है। लोग दहशत में आकर अस्पतालों की ओर दौड़ पड़ते हैं। नतीजा यह होता है कि जरूरतमंदों को मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने में अस्पताल असमर्थ हो जाते हैं , क्योंकि उनपर लोगों की अफ़रा-तफ़री के कारण दबाव बहुत बढ़ गया है। ‌करोना के हल्के लक्षण आने पर होम आइसोलेशन में रहकर भी करोना को हराया जा सकता है। चिकित्सक के परामर्श से होम आइसोलेशन के नियमों का पालन कर बहुतों ने करोना पर विजय प्राप्त की है। तो आइए, हम जानते हैं कि होम आइसोलेशन किसे कहते है ? और इसमें क्या नियम और सावधानियां बरतनी चाहिए। होम आइसोलेशन किसे कहते हैं ? यदि मरीज में कोविड 19 के गंभीर लक्षण नहीं हो तो डाक्टर के सही दिशा निर्देश का पालन करते हुए घर पर ही परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रहकर इलाज करवाना ही होम आइसोलेशन कहलाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह 80 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल जाने की जरूरत नही

काकी कहानी, सियाराम शरण गुप्त,Kaki

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  काकी ( कहानी ) लेखक सियाराम शरण गुप्त Kaki story, shiyaram sharan gupt Questions answers काकी कहानी लेखक सियाराम शरण गुप्त, काकी कहानी का सारांश, काकी कहानी का उद्देश्य, काकी कहानी से क्या शिक्षा मिलती है। श्यामू कौन था। श्यामू की मां को क्या हुआ। पतंग किसलिए खरीदा गया था। विश्वेश्वर कौन थे। श्यामू आकाश की ओर क्यों देखा करता था । सुखिया दासी के लड़के का क्या नाम था ? पतंग के लिए पैसे कहां से आए। काकी कहानी में लेखक ने बाल मनोविज्ञान का सुन्दर और यथार्थ वर्णन किया है। बच्चों का मन कितना भावुक होता है, इसे बहुत गंभीरता के साथ समझने की आवश्यकता होती है। इस कहानी में लेखक सियाराम शरण गुप्त ने पाठकों को बताने का प्रयास किया है कि हमें अपने बच्चों के प्रति संवेदनशील और सजग रहने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में इस कहानी की  सार्थकता और अधिक बढ़ गई है। काकी कहानी का सारांश kaki story summary श्यामू नाम का एक बालक है। वह अबोध है। उसकी मां का देहांत हो गया है। परन्तु उसे मृत्यु का अर्थ नही मालूम है। घर के सारे लोग  विलाप कर रहे हैं। उसकी मां मृत्यु शैय्या पर लेटी हुई है। जब उसकी मां को लोग श्मश

जग जीवन में जो चिर महान, jag jivan men jo chir mahan

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 जग जीवन में जो चिर महान,jag jivan me jo chir mahan poem Poet Sumitra Nandan pant जग जीवन में जो चिर महान सौंदर्य पूर्ण और सत्य प्राण, मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ, जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति, छूटे भय संसार, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूं नाथ, मिल जाए जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर प्रभु, तुमसे अमर दान, करके मानव का परित्राण, ला सकूं विश्व में एक बार, फिर से नवजीवन का विहान।  सुमित्रानंदन पंत शब्दार्थ जग – संसार । सौंदर्य- सुन्दरता। चिर – सदा रहने वाला, अमर। मानव – मनुष्य को। हित – भलाई। शक्ति – ताकत । भय – डर। अंधभक्ति – अंधविश्वास भरी भक्ति। संशय – शक। प्रकाश – रोशनी। अखिल – सब। अमर – जो न मरे। परित्राण – पूरी रक्षा। विश्व – संसार। नवजीवन – नया जीवन। विहान – सवेरा। जग जीवन में जो चिर महान कविता का  भावार्थ सुप्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत परम पिता परमेश्वर को प्रणाम करते हुए यह प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु ! इस संसार में मैं उसका प्रेमी बनूं जो मानव का कल्याण चाहता हो। मेरे मन में ऐसा भाव भर दो जिससे मैं समस्त जीवों का कल्याण कर सकूं। मेरे सारे उद्योग ज

अमरनाथ यात्रा , Amarnath Yatra

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स्वतंत्रता  दिवस निबंध   भी पढ़ें  अमरनाथ यात्रा , Amarnath Yatra जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। कश्मीर तो धरती पर ही जन्नत है। श्रीनगर घाटी का दृश्य भी बहुत सुहाना है। पहलगाम कश्मीर घाटी का सबसे मनोरम जगह है। इसकी ऊंचाई समुद्र तट से 2200 मीटर है। चारों ओर ऊंची ऊंची पहाड़ी की चोटियां और बीच में लीदर नदी बहती है। अमरनाथ की पवित्र यात्रा वस्तुत: यहीं से आरंभ होता है। अमरनाथ जाने वाले यात्री यही एकत्रित होते हैं। सबके मन में एक ही कामना, अमरनाथ जी के दर्शन करने की। अमरनाथ अमरावती नदी के दाएं तट पर स्थित है। पहलगाम से यहां तक की यात्रा में तीन दिन लगते हैं। चौथा दिन वापसी का होता है। यह यात्रा रक्षाबंधन के दिन सम्पन्न होती है।                         छड़ी साहब पहलगाम से अमरनाथ यात्रा पर यात्रियों के आगे आगे छड़ी साहब का जुलूस चलता है। कहते हैं कि यह छड़ भृगु ऋषि की देन है और यह छड़ी यात्रियों की रक्षा करती है। इसमें श्री अमरनाथ भगवान शिव के पूजन के लिए नारियल, पुष्प और सामग्री तथा ध्वज रहता है। इस यात्रा का मार्ग बड़ा कठिन है। चढ़ाई उतराई बहुत है। अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव चंदनबाड़

अगस्त क्रांति August Kranti

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  अगस्त क्रांति (August Kranti ) अगस्त क्रांति क्या थी ? 26 अप्रैल 1942 को क्या हुआ ? हरिजन पत्र के बारे में बताएं। भारत छोड़ो आंदोलन का नारा किसने दिया ?  9 अगस्त 1942 को क्या हुआ ? क्रिप्स योजना के असफल होते ही सारे देश में विद्रोह और असंतोष की लहर फैल गई। इस संबंध में गांधी जी ने 26 अप्रैल 1942 को ' हरिजन ' पत्र में कहा कि यदि अंग्रेजों ने भारत को उसके भाग्य के भरोसे सिंगापुर की तरह छोड़ भी दिया तो अहिंसक भारत को इससे कोई भी हानि न होगी। उन्होंने इसी पत्र में भारत छोड़ो का नारा दिया था। भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी जी के ' भारत छोड़ो ' नारे के महत्व को सबने एक स्वर से स्वीकार कर लिया। 14 जुलाई, 1942 को वर्धा में एक स्वर से सभी ने भारत छोड़ो का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया कहा गया कि भारत में ब्रिटिश शासन का अंत शीध्र होना चाहिए। 8 अगस्त 1942 को ' भारत छोड़ो ' का नारा बुलंद करने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति की एक बैठक मुंबई मैं बुलाई गई। गांधी जी ने अपने भाषण में यह घोषणा की, कि इस क्षण से आप में से हर एक अपने को आजाद आदमी या आजाद औरत समझे। हम भारत को

ल्हासा की ओर, Lahasa ki oor लेखक राहुल सांकृत्यायन

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  ल्हासा की ओर, लेखक राहुल सांकृत्यायन, यात्रा - वृत्तांत Lahasa ki oor, Rahul Sankrityayan, ल्हासा की ओर पाठ का सारांश, ल्हासा की ओर कक्षा नौ,  ल्हासा की ओर राहुल सांकृत्यायन रचित एक यात्रा वृत्तांत है जब राहुल जी तिब्बत के ल्हासा की यात्रा पर गए थे। यह नौवीं कक्षा में पढ़ाई जाती है। विषय - सूची  लेखक राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय ल्हासा की ओर पाठ का सारांश ल्हासा की ओर पाठ का प्रश्नोत्तर *************************** राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय जन्म तिथि- 1893 ई. मृत्यु तिथि – 1963 ई. जन्म स्थान – गांव पंदाहा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। राहुल सांकृत्यायन जी का वास्तविक नाम केदार पांडेय था। इनकी शिक्षा काशी, आगरा और लाहौर में हुई थी। 1930 ई में श्रीलंका जाकर इन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया, तब से से इनका नाम राहुल सांकृत्यायन हो गया। ये घुमक्कड़ी स्वभाव के व्यक्ति थे। इन्हें महापंडित कहा जाता है क्योंकि ये पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, रूसी आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। यात्रा वृत्तांत साहित्य में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इन्होंने घुमक्कड़ी का शास्त्र ' घुमक्कड़