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उषा कविता, कवि शमशेर बहादुर सिंह,12वीं,Usha poem

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  Usha poem, shamsher Bahadur Singh           ऊषा  Usha poem उषा कविता, कवि शमशेर बहादुर सिंह का जीवन परिचय  ,  कविता का शब्दार्थ, उषा कविता का भावार्थ, प्रश्न उत्तर, उषा कविता की व्याख्या, उषा कविता का केन्द्रीय भाव लिखें, उषा कविता का केन्द्रीय भाव है प्रातः काल के वातावरण का वर्णन करना। उषा कविता में कवि का क्या संदेश है ? उषा कविता में कवि का क्या उद्देश्य है ? उषा कविता में किसका वर्णन किया गया है ? उषा कविता में वर्णित विषय क्या है ? उषा कविता में गांव की शोभा कैसी बताई गई है ? उषा कविता में गांव की सुन्दरता घरेलू बिंबों के माध्यम से बताया गया है। मोर के नभ की तुलना किस्से की गई है ? मोर के नभ की तुलना राखी से लीपे गीले चौके से की गई है। उषा कविता किस प्रकार की रचना है ? उषा कविता में कौन सा छंद प्रयोग किया गया है ? उषा कविता छंदमुक्त है। उषा कविता का शिल्प सौंदर्य लिखें। उषा कविता में किस समय का वर्णन किया गया है ? usha poem, poet samsher Bahadur Singh, biography, NCERT solutions, 12th solved hindi, summary, questions answers. Subah ka Akash kaisa hai. उषा कविता  प्रात नभ था बहु

भाषा 2. मातृभाषा, 3.झारखंड के विभिन्न जिलों की भाषा 4.राष्ट्रभाषा 5.राजभाषा

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  1.भाषा 2. मातृभाषा, 3.झारखंड के विभिन्न जिलों की भाषा 4.राष्ट्रभाषा 5.राजभाषा 6.उपसंहार 1.भाषा किसे कहते हैं ? Bhash kise kahte hai ? मनुष्य अपने मन के भावों को व्यक्त करने के लिए जिन मौखिक और लिखित माध्यम का प्रयोग करता है, उसे भाषा कहते हैं। भाषा शब्द संस्कृत के भाष् धातु से बना है जिसका अर्थ वाणी को व्यक्त करना होता है। भाषा के दो रूप हैं -- मौखिक और लिखित। विश्व भर में लगभग 6900 भाषाएं बोली जाती है। 2.मातृभाषा किसे कहते हैं ? Matribhasha kise kahte hai in hindi  वह भाषा जिसे हम मां से सीखते हैं, उसे मातृभाषा कहते हैं।याने वे भाषाएं जिन्हें लोग जन्म से बोलते हैं, उन्हें मातृभाषा कहते हैं। 21 फरवरी को अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। 42.2 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है। दुनिया भर में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हमारे देश की दो भाषाएं , हिंदी और बंगला को सामिल किया गया है, और गर्व की बात है कि ये दोनों भाषाएं झारखण्ड में भी बोलीं जाती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का संबंध ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से है जिन्होंने 21 फरवरी 1

फणीश्वरनाथ रेणु , जन्म शताब्दी पर विशेष ,phanishwarnath Renu

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फणीश्वरनाथ रेणु जी : जीवन परिचय   फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखने वाले ऐसे आंचलिक उपन्यास कार हैं जिनका नाम सदा अमर रहेगा। उनका जन्म बिहार के अररिया जिले के औराही हिंगना नामक गांव में 4 मार्च 1921 को हुआ था। उस समय यह गांव पूर्णिया जिले में था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ ही नेपाली समाज के उत्थान में इनका महत्वपूर्ण योगदान है । ‌उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों में तत्कालीन ग्रामीण जीवन का यथार्थ वर्णन किया है। उनके जन्म शताब्दी के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन होगा जिसमें विभिन्न देशों के विद्वान और साहित्यकार भाग लेकर रेणु साहित्य के द्वारा ग्रामीण जीवन, ग्रामीण इतिहास , भारतीय ग्रामीण संस्कृति पर बात करें   रेणु जी की प्रसिद्ध रचनाएं किरण  पूर्णिमा" पर्व के बारे में भी जाना) Sharad Purnima click here उपन्यास   मैला आंचल, परती परिकथा, दीर्घतपा , कितने चौराहे, कलंक मुक्ति। कहानी संग्रह ठुमरी, अग्नि खोल,आदिम रात्रि की महक, एक श्रावणी दोपहरी की धूम। संस्मरण ऋणजल, वनतुलसी की गंध,श्रुत अश्रुत पर्व । रिपोर्ताज नेपाली क्रांति कथा । प्रसिद्ध कहानियां ठेस ,

सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी 2022saraswati puja 2022

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  सरस्वती पूजा, saraswati puja 2022 सरस्वती पूजा, 2022, 05 फरवरी, दिन शनिवार सरस्वती पूजा कब मनाया जाता है। सरस्वती के कितने नाम सरस्वती पूजन सामग्री मां सरस्वती की महिमा सरस्वती पूजा से लाभ विद्या बुद्धि की देवी सरस्वती संगीत की देवी सरस्वती सरस्वती की मूर्ति में वीणा, पुस्तक, हंस, स्फटिक ,कमल का अर्थ वर्तमान में सरस्वती पूजा का स्वरूप, सरस्वती पूजा कब मनाया जाता है। इस वर्ष 05 फरवरी दिन शनिवार को  सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त है। विद्या,ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी की आराधना सरस्वती पूजा है। यह माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। मां सरस्वती को आद्या, गिरा, ईश्वरी, भारती, ब्रह्मी, भाषा, महाश्वेता, वाक् वाणी, वागीशा , विधात्री, वागीश्वरी, वीणापाणि,  शारदा, जगत व्यापिनी, पुस्तक धारिणी , ब्रह्म विचार सार परमा आदि कई नामों से पुकारा जाता है ।  ऋतुराज बसंत के शुभ आगमन से प्रकृति की समस्त बल्लरियां नवजीवन को गतिमती हो उठती हैं। आम्र, अशोक के कोमल किसलय की लालिमा युक्त हरियाली वातावरण में नवजीवन का संकेत देती है। कनेर, सेमल, चंपा, पलाश, मटर, तीसी,  सरसों, गुलाब आदि के फूलों

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना Chief Minister Rojgar Srijan Yojna

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  मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना Chief Minister Rojgar Srijan Yojna झारखंड के मुख्यमंत्री ने नवयुवकों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में एक अच्छी और महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है।                                  अब झारखंड के युवक होंगे स्वावलंबी।            अब न होगी पैसे की तंगी। झारखंड स्थापना के बीस साल बाद भी झारखंड के नवयुवक रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में भटक रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए झारखण्ड सरकार ने मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना कार्यक्रम लागू किया है। इसके अंतर्गत राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक वर्ग, पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांग जन युवाओं के स्वरोजगार हेतु सस्ते और आसान ऋण उपलब्ध कराने जा रही है। इस ऋण पर सरकार आकर्षक अनुदान भी देगी। इस योजना के अंतर्गत वाहन लेने की भी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। प्रतिरक्षा शक्ति निबंध     (यह भी पढ़ें)   कुईं में पानी बहुत कम रहता है।  पात्रता एवं शर्तें 1.उम्र सीमा –18 – 45 वर्ष और झारखंड राज्य का निवासी। 2. परिवार की वार्षिक आय  पांच लाख रुपए से कम हो। 3.सखी मंडल की  दी

100%number लाने के उपाय, सफलता के उपाय, success mantra

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                       Learn with Dr. Umesh Kumar Singh   क्षण त्यागे कुत: विद्या कण त्यागे कुछ: धनम्। संस्कृत के इस अनमोल वचन से स्पष्ट हो जाता है कि यदि विद्या चाहिए तो समय का पालन करें और यदि धनवान बनने की लालशा है तो एक एक कण और पैसे को बचाओ। अच्छी योजना, उत्तम मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत के बल पर जीवन में पूरी सफलता पाई जा सकती है।                  करत करत अभ्यास से जड़मति होत सुजान।                 रसडी आवत जात ते सिल पर परत निस्सान।। बहुत लोगों से सुनते हैं, अब क्या होगा। बहुत समय बीत चुका है। वैसे बंधु भगिनी से मेरा आग्रह है कि ऐसी निराशाजनक बातें कभी भी मन में न लाएं।             बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लें। समय पालन बस आज ही सप्ताह के सातों दिन की दैनिक रूटिन तैयार कर लें और इमानदारी से उसका पालन करें। अपने काम का ध्यान करें और मन में तीन बार बोलें , हां, मैं कर सकता हूं। इससे मन में साकारात्मक भाव का उदय होता है। समय पालन सफलता की प्रथम कुंजी है। विद्यार्थी जीवन में तो समय पालन करने का महत्व और बढ़ जाता है। खोया हुआ समय वापस नहीं आता परन्तु उसकी भरपाई किया जा सकता है। स

जीवन का रहस्य ,secret of life

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Secret of life , जीवन का रहस्य   जीवन क्या है ? यह क्यों है ? और किसलिए है ? इस प्रश्न के लिए उत्तर की खोज से पूर्व हम एक कहानी पढ़ते हैं। शायद इसी कहानी में कुछ ऐसी बात दिख जाए जो जीवन के रहस्य को सुलझाने में मदद करे। पुराने जमाने में लोग दूर-दूर तक पैदल ही यात्रा करते थे। यदि अधिक सक्षम हुए तो पालकी या फिर बैलगाड़ी। हर हाल में किसी पेड़ या प्याऊ के पास दोपहर में थोड़ी देर के लिए आराम करना ही पड़ता था।  इस तरह न चाहते हुए भी दस पांच लोग दोपहरी में एक साथ हो लेते थे। एक बार की बात है। दोपहर की गर्मी में यात्रा की थकान मिटाने के लिए कुछ लोग बूढ़े बरगद की छांव में बैठे थे। उसी बूढ़े बरगद के पेड़ पर कुछ पक्षी बैठे कलरव कर रहे थे। एक पक्षी कुछ तेज स्वर में अलग ही आवाज में कुछ बोल रहा था। पेड़ की छांव में बैठे हुए एक आदमी ने साधू से पूछा कि यह पक्षी क्या बोल रहा है । साधु ने अपने भाव के अनुसार अर्थ लगाया कि यह " सीता राम दशरथ "  बोल रहा है। साधु की बात सुनकर एक बनिए ने कहा " नहीं , यह पक्षी धनिया मिर्च अदरक बोल रहा है। बनिए की बात एक पहलवान सुन रहा था। उसने सभी की बातें काटते

चेतक , chetak,चेत करो,चेत करो

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Chet kro , Chet kro,  Maharana Pratap and Chetak 🐎 horse महाराणा प्रताप और चेतक भारत के इतिहास में अरावली का शेर महाराणा प्रताप की वीरता और दिलेरी के किस्से जितने मशहूर हैं, उतने ही किस्से उनके प्रिय घोड़े चेतक की वीरता, वफादारी और समझदारी के भी प्रसिद्ध हैं। चेतक नीले रंग का अफ़गानी घोड़ा था। चेतक महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा था। महाराणा उसे अपने पुत्र की तरह चाहते थे और चेतक भी उनका स्वामी भक्त था। हल्दी घाटी के प्रसिद्ध युद्ध में चेतक की बहादुरी का जैसा वर्णन कवि श्याम नारायण पाण्डेय ने किया है वह बिल्कुल यथार्थ है। हल्दी घाटी के युद्ध में चेतक तो घायल था ही, फिर भी वह अपने स्वामी को लेकर दौड़ रहा था। अचानक सामने 21 फीट चौड़ी नदी आ गई। चेतक बड़ी बहादुरी से महाराणा प्रताप की जान बचाने के लिए नदी तड़प गया। 21 जून 1576 को चेतक प्रताप से अलविदा लेकर स्वर्ग चला गया लेकिन उसकी कमी महाराणा प्रताप को जीवन  भर खलती रही।वह चेतक की मृत्यु पर बहुत रोये। हल्दी घाटी के राज समद में चेतक की समाधि है जहां आज भी लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।   1. कविता  2.भावार्थ 3.शब्दार्थ 4.प्रश्न उत्तर 5.चेतक

बूढ़ा बाघ और बटोही

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   बूढ़ा बाघ और बटोही, Budha Bagh aur batohi, लालची पथिक की कहानी, लालच बुरी बात।  यह कहानी एक ऐसे लालची पथिक की है जो यह जानते हुए कि बाघ हिंसक पशु होता है, फिर भी उसकी मीठी बातों में आकर अपनी जान गंवा देता है। इसलिए अपनी बुद्धि और विवेक का सदा इस्तमाल करें और किसी ठग की मीठी मीठी बातों में न आए। बहुत पहले की बात है। किसी वन में एक बूढ़ा बाघ रहता था। अत्यधिक बुढ़ापे के कारण वह मनुष्य और पशुओं को मारकर खाने में असमर्थ हो गया था। उसने यह सोच कर दानी बनने का स्वांग रचा। वह प्रतिदिन एक सरोवर के किनारे हाथ में कुश लेकर भगवान का नाम जपता और उस तरफ से गुजरने वाले पथिकों से कहता --- "  हे पथिक !  इस सोने के कंगन को ले जा। इससे तुम्हारी गरीबी दूर हो जाएगी। बाघ की बातें सुनकर एक पथिक को लोभ हो गया। उसने सोचा , ऐसी बातें  भाग्य से ही होती हैं। क्यों न भाग्य को आजमाया जाए। फिर सोचा, इसमें खतरा भी कम नहीं है। धन पाने में खतरा तो रहता ही है। डरना नहीं चाहिए। एक बार अपने भाग्य की परीक्षा लेने में क्या नुकसान है। pradushan essay       (क्लिक करें और पढ़ें) बटोही ने कहा, तुम्हारा कंगन कहां है ?