पुष्प की अभिलाषा,Pushp ki Abhilasha.MKhanlal Chaturvedi

      

 पुष्प की अभिलाषा, pushap ki Abhilasha, Makhan Lal Chaturvedi,


पुष्प की अभिलाषा कैसी कविता है। यह कब और कहां लिखी गई थी। पुष्प की अभिलाषा कविता का भावार्थ, एक भारतीय आत्मा कौन कहलाते हैं। पुष्प की क्या इच्छा है। पुष्प के द्वारा कौन अपनी अभिलाषा व्यक्त कर रहा है ? पुष्प किसका प्रतीक है।

" पुष्प की अभिलाषा " कविता के रचयिता माखनलाल चतुर्वेदी ने इस छोटी सी कविता की रचना कर यह सिद्ध कर दिया है कि वे वास्तव में " एक भारतीय आत्मा " के नाम से विभूषित किए जाने के सच्चे अधिकारी हैं। यहां हमने पुष्प की अभिलाषा कविता के कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय,पुष्प की अभिलाषा कविता, शब्दार्थ , भावार्थ, एवं कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर  सरल और सुबोध भाषा शैली में दिए  हैं।  यह कविता हिमतरंगिनी काव्य संग्रह में प्रकाशित है। माखनलाल चतुर्वेदी ने इस कविता की रचना विलासपुर जेल में की थी।उस समय असहयोग आंदोलन का दौर था। इस तरह इस कविता के सौ साल पूरे हो गए।

यह कविता पाठकों में देशभक्ति और देश के लिए उत्सर्ग होने का भाव जाग्रत करने में सफल है। 

कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय:-- 

 एक भारतीय आत्मा के उपनाम से विख्यात कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 1889ई में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबयी नामक गांव में हुआ था। इनकी मृत्यु 1968 ई में हुई।

इनके पिता जी गांव की स्कूल में अध्यापक थे इसलिए इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। वैष्णव संस्कृति तो इन्हें परिवार से ही मिला था। देश के प्रति इनके ह्रदय में अपार श्रद्धा थी। अपने जीवन की शुरुआत इन्होंने एक अध्यापक के रूप में किया था। किंतु पत्रकारिता के क्षेत्र में भी यह जुड़े थे। इन्होंने प्रभा, प्रताप और कर्मवीर नामक पत्रिकाओं का संपादन किया।

माखनलाल चतुर्वेदी शुरू में क्रांतिकारियों के समर्थक थे लेकिन आगे चलकर गांधीवाद से प्रभावित हो गए और राजनीतिक सक्रियता के कारण कई बार जेल भी गए। जेल में है कविताओं की रचना करते थे। हिमकिरीट नी और हिम तरंगिणी इनकी दो प्रसिद्ध है पुस्तकें हैं। इनकी रचनाओं में देशप्रेम और देशप्रेम के लिए आत्मोत्कर्ष का भाव दिखाई देता है। इन्होंने देशवासियों को संघर्ष और साधना के पथ पर चलने की प्रेरणा दी है।


             पुष्प की अभिलाषा

                           (कविता)

चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं।

चाह नहीं प्रेमी माला में बिंद प्यारी को ललचाऊं।

चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं।

चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूं भाग्य पर इठलाऊं।


मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर तू देना फेंक।

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएं वीर अनेक ।।

     

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  पुष्प की अभिलाषा कविता का                 भावार्थ

           कविवर माखनलाल चतुर्वेदी की यह देश भक्ति रचना मातृभूमि के श्रीचरणों में समर्पित है। एक पुष्प मातृभूमि की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों की सेवा करने में ही अपने जीवन की सार्थकता के बारे में बताता है। वह नहीं चाहता है कि उसे किसी सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं। सदियों से प्रेमी अपने प्रेमिकाओं को पुष्प प्रदान कर अपने प्रेम का इजहार करता है। यह परंपरा आज भी प्रचलित है। लेकिन यहां फूल अपने आप को इस कार्य के लिए भी समर्पित नहीं करना चाहता। वह नहीं चाहता है कि  किसी प्रेमी द्वारा उसकी प्रेमिका को उसे दिया जाए। इसी तरह वह किसी के राजे महाराजे के शव पर या किसी देवी देवताओं के सिर पर चढ़कर भाग्यशाली नहीं बनना चाहता है। वह तो चाहता है कि कोई उसे तोड़ कर उस रास्ते पर फेंक दें जिस रास्ते से होकर वीर सैनिक गुजरते हैं । वह तो अपनी मातृभूमि के काम आने में ही अपने जीवन को सफल मानता है।

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शब्दार्थ

पुष्प -- फूल , अभिलाषा -- इच्छा , चाह - इच्छा , सुरबाला -- देव कन्या , सम्राट --राजा , भाग्य - तकदीर, इठलाना -- इतराना ।पथ -- रास्ता ।

 पुष्प की अभिलाषा कविता का    प्रश्नोत्तर Questions answers

1. पुष्प की अभिलाषा कविता के कवि का नाम लिखे।

उत्तर - माखनलाल चतुर्वेदी।

2. पुष्प की क्या अभिलाषा है ?

उत्तर - पुष्प की अभिलाषा है कि वह देश पर शहीद होने वाले सिपाहियों के मार्ग पर बिछ जाए। इस तरह वह देश पर न्योछावर होना चाहता है।

3. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखे।

पुष्प, चाह, गहना , देव , राजा , पथ ।

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उत्तर -- 

पुष्प -- फूल, कुसुम

चाह -- इच्छा, अभिलाषा।

गहना -- आभूषण, ज़ेवर

देव -- देवता , ईश्वर।

राजा -- नरेश , नृप ।

पथ -- मार्ग , रास्ता ।


4. एक भारतीय आत्मा किस कवि का उपनाम है ?

उत्तर -- कवि माखनलाल चतुर्वेदी को " एक भारतीय आत्मा " उपनाम से जाना जाता है।


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