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ऊंची दुकान फीका पकवान' मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, निबंध, oochi dukan phika pakwan muhaware , meaning, uses in sentences, story, essay on oonchi dukan phika pakwan.

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  ऊंची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, निबंध, oochi dukan phika pakwan muhaware , meaning, uses in sentences, story, essay on oonchi dukan phika pakwan. ऊंची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ है - दिखावा बहुत होना लेकिन वास्तविकता उसके अनुरूप नहीं होना।  ऊपर - ऊपर खूब डील डौल और भीतर में कुछ नहीं। ऊंची दुकान और फीका पकवान मुहावरे का वाक्य में प्रयोग * हम तो महावीर साव की दुकान का नाम पढ़कर यहां चले आए थे, लेकिन यहां तो ऊंची दुकान और फीका पकवान मुहावरे वाली बात है। देखते नहीं जलेबियां बासी हैं। * इतनी बड़ी दुकान में खट्टी और बासी मिठाइयां बिक रही हैं, यह तो ऊंची दुकान और फीका पकवान वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। * चार मील पैदल चलकर हमलोग बिंदु माल जिंस खरीदने गये थे। परन्तु वहां तो बुधनी हटिया से भी खराब कपड़े मिल रहे हैं। सचमुच बिंदु माल ऊंची दुकान और फीका पकवान जैसी हो गई है। * मदन मोहन का जन्म दिन था। दोस्तों ने कहा - इस बार प्रकाश होटल का केक खाएंगे। प्रकाश होटल वहां का नामी गिरामी होटल था। अब क्या, मदन अपने दोस्तों को जन्म दिन मनाने वही लै गया। लेकिन केक

हे भूख! मत मचल, अक्का देवी, 11वीं कविता, He bhukh mat machal, Akka devi, कर्नाटक की मीरा, भावार्थ, प्रश्न उत्तर

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हे मेरे  जूही के फूल जैसे ईश्वर इस पाठ में 11th class hindi में पढ़ाई जाने वाली कविता हे भूख! मत मचल का विस्तार से वर्णन किया गया है। छात्रों के उपयोग के लिए प्रश्न उत्तर भी दिए गए हैं। हे भूख ! मत मचल। कविता, अक्का देवी, भावार्थ एवं व्याख्या, प्रश्न उत्तर। कर्नाटक की मीरा कहीं जाने वाली कवयित्री अक्का देवी। He bhukh mat machal , NCERT solutions, poem.11th हिन्दी।   हे भूख! मत मचल प्यास, तड़प मत हे नींद! मत सता क्रोध, मचा मत उथल-पुथल हे मोह ! पाश अपने ढील लोभ, मत ललचा हे मद! मत कर मदहोश ईर्ष्या , जला मत ओ चराचर! मत चूके अवसर आई हूं संदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का। शब्दार्थ मचल- पाने की जिद करना। पाश - बंधन।मद - नशा। मदहोश - नशे में पागल। चराचर - जड़ और चेतन संसार। चूक - भूल। चन्नमल्लिकार्जुन - भगवान शिव। व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियां कर्नाटक की प्रसिद्ध कवयित्री अक्का देवी द्वारा लिखित है। अक्का देवी को कर्नाटक की मीरा कहा जाता है। ये भगवान शिव की अराधिका है। वह सांसारिकता त्याग कर शिव जी की आराधना में लीन होने का संदेश देती हैं। कवयित्री अक्का देवी कहती हैं, से भूख ! हे सांसारिक वस्तुओं

Bhartiya vastukala aur murtikala, Bhartiya vastukala aur murtikala ki visheshta, sindhu ghari , Harappa, mohanjodaro Sarnath stup, भारतीय वास्तुकला की विशेषताएं, भारतीय वास्तुकला और मूर्ति कला

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 भारतीय वास्तुकला और मूर्ति कला, भारतीय वास्तुकला क्या है ? भारतीय वास्तुकला की विशेषताएं, सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख नगर - हड़प्पा और मोहनजोदड़ो, मौर्य काल में वास्तुकला और मूर्ति कला, बौद्ध धर्म में स्तूप, सांची का स्तूप, सारनाथ के स्तंभ, गुप्त काल भारतीय कला का स्वर्ण युग, देवगढ़ का दशावतार मंदिर, लोहे का लाट, अजंता एलोरा और बाघ की गुफाएं, कोणार्क का सूर्य मंदिर और खजुराहो का मंदिर, दक्षिण भारत के मंदिरों में वास्तुकला और मूर्ति कला, बृहदेश्वर मंदिर, मीनाक्षी मंदिर, बुलंद दरवाजा, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर और आगरा का ताजमहल वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण। Bhartiya vastukala aur murtikala, Bhartiya vastukala aur murtikala ki visheshta, sindhu ghari , Harappa, mohanjodaro Sarnath stup, भारतीय वास्तुकला की विशेषताएं, भारतीय वास्तुकला और मूर्ति कला भारतीय वास्तुकला और मूर्ति कला का इतिहास बहुत पुराना है। भारतीय कला की कहानी की शुरुआत लगभग पांच हजार साल पुरानी है। सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख नगर थे - हड़प्पा और मोहनजोदड़ो। यहां वास्तुकला के श्रेष्ठ नमूने उपलब्ध हैं। अब आपके मन में यह प्र

लाक्षागृह का षड्यंत्र, लाक्षागृह क्या था, लाक्षागृह किसने बनवाया, Lakshagrih ka shadyantra,what was Lakshagrih

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  लाक्षागृह का षड्यंत्र, लाक्षागृह क्या था, लाक्षागृह किसने बनवाया, Lakshagrih ka shadyantra,what was Lakshagrih, महाभारत की कथाएं लाक्षागृह क्या था। लाक्षाग्रह किसने बनवाया ? पुरोचन कौन था ? ययाति कौन थे ? भीष्म के बचपन का नाम बताएं। राजा शांतनु ने किसका हाथ मांगा ? प्राचीन काल की बात है। भारत में ययाति नाम के राजा थे। उनकी दो रानियां थीं - देवयानी और शर्मिष्ठा। खांडवप्रस्थ उनकी राजधानी थी जो आगे चलकर इंद्रप्रस्थ कहलाया। पांडवों ने इसे बसाया था। शर्मिष्ठा के तीन पुत्र हुए। पुरू सबसे छोटे थे। ययाति ने पुरू को ही राजा बनाया। पुरू के नाम पर यह वंश ' पुरू वंश ' कहलाया। इसी पुरूवंश में राजा दुष्यंत हुए जो बहुत प्रतापी और प्रजा पालक थे। उनका विवाह शकुंतला नामक कन्या से हुआ। इन्हीं के पुत्र भरत के नाम पर अपने देश का नाम भारत पड़ा। आगे चलकर इसी वंश में हस्तिन नामक राजा हुए जिन्होंने हस्तिनापुर नामक राजधानी बसाई। कुरू के नाम पर यह वंश आगे चलकर कौरव कहलाए। इस तरह हम देखते हैं कि महाभारत की कथा कयी पीढ़ियों की कथाएं आपस में समेटे हुए है।  कौरव राज वंश में ही महाराज शांतनु हुए थे। उनका वि

अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, Apani khichri alag pakana muhaware ka arth, story, wakaya me pryog, make sentences with idioms and phrases ' apani khichri alag pakana.अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे कैसे बने।

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  अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, Apani khichri alag pakana muhaware ka arth, story, wakaya me pryog, make sentences with idioms and phrases ' apani khichri alag pakana.अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे कैसे बने। अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ है सबसे अलग रहना।साथ न चलना। 1. अपनी खिचड़ी अलग पकाने वाले जीवन में सफल नहीं हो सकते। 2. यदि तुम मेरे साथ नहीं चल सकते तो जाओ अपनी खिचड़ी अलग पकाओ। 3. मुखिया जी ने दोनों भाइयों को कहा, देखो भाई, रोज - रोज लड़ने झगड़ने से अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाओ। 4. झंझट क्यों पाल रखे हो, अपनी खिचड़ी अलग पकाओ, लाभ में रहोगे। 5. रामपाल की बहुएं रोज आपस में लगती - झगड़ती रहतीं थीं। जिस दिन से अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगी , उनका झगड़ना ही समाप्त हो गया। अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे की कहानी, अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरा कैसे बना। रायगढ़ के एक गांव में चनारमल नाम का एक किसान रहता था। उसकी दो बेटियां थीं। दोनों का ब्याह अवतार नगर के सुजान मल के बेटे महनार से हुआ था। महनार अपनी दोनों पत्नियों को जान से भी ज्यादा प्यार करत

निर्धन छात्र कोष से सहायता हेतु प्राचार्य को आवेदन पत्र लिखें। Write an application to your principal to find help from poor boys fund. Nirdhan kshatra kosh se sahayata ke liye pracharya ko awedan patra.

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आम के आम और गुठलियों के दाम मुहावरे का अर्थ, कहानी    निर्धन छात्र कोष से सहायता हेतु प्राचार्य को आवेदन पत्र लिखें। Write an application to your principal to find help from poor boys fund. Nirdhan kshatra kosh se sahayata ke liye pracharya ko awedan patra. **"******"***************************""********* सेवा में,                 प्राचार्य महोदय,                अपने विद्यालय का नाम। द्वारा,             कक्षाचार्य महोदय। विषय - निर्धन छात्र कोष से सहायता हेतु। महाशय, निवेदन है कि मैं अपने विद्यालय में कक्षा ( अपनी कक्षा का नाम) का एक मेघावी छात्र हूं।  मेरे पिता जी एक छोटा व्यवसाय करते हैं। करोना महामारी के कारण उनका व्यवसाय बुरी तरह बर्बाद हो गया है। उनके सामने एक बड़े परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी है। ऐसे में अर्थाभाव के कारण मेरी पढ़ाई बाधित हो रही है और मैं आगे भी पढ़ना चाहता हूं। अतः श्रीमान जी से विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त बातों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मुझे निर्धन छात्र कोष से सहायता प्रदान करने की कृपा करें।                              सधन्यवा

' मेघ आए ' कविता, कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, सारांश और प्रश्न उत्तर, Megh aaye poem, poet Sarweshwar Dayal sexena, summary, questions answers

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' मेघ आए ' कविता, कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, सारांश और प्रश्न उत्तर, Megh aaye poem, poet Sarweshwar Dayal sexena, summary, questions answersmegh aaye kavita ka uddeshya, megh aaye kavita ka saransh, megh aaye kavita ka questions answers, megh aaye bade ban dhan ke sawar ke.  मेघ आए बड़े बन ठन के संवर के , मेघ का अर्थ, मेघ का काम, मेघ कैसे आते हैं? मेघ कहां आते हैं ? मेघ कब आते हैं ? मेघ का रंग कैसा होता है ? मेघ आए कविता, मेघ आए कविता के कवि का नाम, कविता में मेघ का चित्रण किस रूप में किया गया है ? मेघ आए कविता में कौन-कौन अलंकार है ? मेघ कैसे आए हैं । मेघ आए कविता में किसका वर्णन किया गया है? मेघ कहां आए हुए हैं ? मेघ आए कविता में मेघ का किस रूप में वर्णन किया गया है ? मेघ आए कविता में पेड़ किसका प्रतीक है ? मेघ आए कविता  में पीपल की तुलना किससे की गई है ?  बरस बाद सुधि लीनि का अर्थ, मेघ किसका प्रतीक है ? नदी, धूल, पेड़, ताल किसका प्रतीक है? पेड़ किस प्रकार अपनी खुशी व्यक्त कर रहे हैं। सबसे बुजुर्ग व्यक्ति का प्रतीक कौन है ? पेड़ किस प्रकार अपनी खुशी प्रकट कर रहे हैं ? कवि ब

सोन चिरैया, सोन चिरैया की कहानी, सोन चिरैया विलुप्त हो रही है, सोहन चिरैया, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, हुकना, गोडावण पंछी, Son chiraiya, great Indian basterd, gondwana सोन चिरैया के संकट के कारण, सोन बटन, pasifik golden plower, पैसिफिक गोल्डन प्लोवर

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  सोन चिरैया, सोन चिरैया की कहानी, सोन चिरैया विलुप्त हो रही है, सोहन चिरैया, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, हुकना, गोडावण पंछी, Son chiraiya, great Indian basterd, gondwana सोन चिरैया के संकट के कारण, सोन बटन, pasifik golden plower, पैसिफिक गोल्डन प्लोवर सोन चिरैया अपनी खुबसूरती के लिए विख्यात है , तभी तो उत्तर भारत के गांव - गिरान में दादी - नानी अपनी पोती - नातिन को प्रेम और लाड़ प्यार से सोन चिरैया कहकर पुकारती हैं। इस पंछी को कभी राष्ट्रीय पंछी बनने का सम्मान मिलने वाला था , लेकिन किसी कारण से उसे यह सम्मान नहीं मिल पाया। आज हमारा राष्ट्रीय पंछी मोर है। सोन चिरैया भारत के कई राज्यों में पायी जाती थी। लेकिन अब यह भारत के कुल पांच राज्यों तक ही सीमित है।  INCUके अनुसार सन् 1969 में सोन चिरैया की कुल संख्या 1260 थी जो घटकर 150 के आसपास रह गई है। निश्चय ही यह स्थिति चिंताजनक है। इस संकटकालीन स्थिति को देखते हुए राजस्थान सरकार ने सोन चिरैया को राज्य पंछी घोषित कर दिया है और इसके संरक्षण के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। जैसलमेर में सोन चिरैया के आवास, भोजन, प्रजनन आदि की सुविधाएं बनाई गई है। सोन

आम के आम और गुठलियों के दाम मुहावरे का अर्थ , कहानी और वाक्य में प्रयोग, aam ke aam aur guthaliyo ke dam , muhaware ke arth, story , utility in sentence

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  आम के आम और गुठलियों के दाम मुहावरे का अर्थ , कहानी और वाक्य में प्रयोग, aam ke aam aur guthaliyo ke dam , muhaware ke arth, story , utility in sentence प्यारे छात्रों, क्या आप सब जानते है कि मुहावरे किसे कहते हैं ? मुहावरे का शाब्दिक अर्थ नही होता, उन शब्दों का कोई अन्य अर्थ निकाला जाता है। अब देखिए न, 'आम के आम और गुठलियों के दाम ' मुहावरे का क्या अर्थ बनता है। मुहावरे के बनने में कोई न कोई कहानी भी जरूर रहती है। यहां मुहावरे के अर्थ, कहानी और इसका वाक्य में प्रयोग बताया गया है। " आम के आम और गुठलियों के दाम " मुहावरे का अर्थ है - दोहरा लाभ।  एक बार एक किसान अपने बंजर भूमि पर कुछ आम का पौधा लगाया। कुछ ही वर्षों में वह बंजर भूमि आम के भरे वृक्षों से सुशोभित हो गया। बसंत ऋतु आया और उसमें मंज़र आ गये। समय आने पर उसमें बड़े स्वादिष्ट और रसीले फल लगे। वह किसान बहुत खुश हुआ। उसने अपने परिवार , सगे संबंधियों को भी खूब आम खिलाए। वहां गुठलियों के ढेर लग गये। परन्तु वह कितना खाते। अंत में बचे आम बाजार में पैसों से बेच आए। गुठलियों सहित आम भी बिक गए और खूब पैसे भी मिले। वहीं

माटीवाली, कहानी , लेखक विद्यासागर नौटियाल, Matiwali, story, vidyasagar Nautiyal, ninth class hindi

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माटीवाली,  कहानी , लेखक विद्यासागर नौटियाल, भूख मीठा  कि भोजन मीठी Matiwali, story, vidyasagar Nautiyal, ninth class hindi " माटीवाली " कहानी विद्यासागर नौटियाल की बहुचर्चित कहानी है। इस कहानी में लेखक ने विस्थापितों की समस्या को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। गरीब और श्रमिक वर्ग को इस समस्या ने कैसे प्रभावित किया है और वे इससे कैसे जूझ रहे हैं, लेखक ने माटीवाली कहानी के माध्यम से बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील ढंग से हमारे सामने रखा है। माटीवाली कहानी का सारांश, लेखक विद्यासागर नौटियाल का परिचय, Matiwali story, summary, NCERT solutions, vidyasagar Nautiyal biography, विस्थापितों की समस्या, टिहरी बांध परियोजना के विस्थापितों की समस्या,  माटीवाली की समस्या, माटी वाली का कनस्टर, माटी वाली पाठ का प्रश्न उत्तर, माटी वाली को अपने पति की चिंता, विस्थापितों का श्मशान घाट, बाढ़ की समस्या। माटीवाली हरिजन महिला की कहानी, चूल्हा लीपने की समस्या,  Matiwali story summary माटी वाली कहानी का सारांश Summary of story matiwali माटी बेचने वाली महिला शहर के तप्पड़ मोहल्ले में  रहती है