श्री कृष्ण जन्माष्टमी/Shree Krishna Janmashtami

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2023,               Shree Krishna Janmashtami 2023

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। धरती से दुष्टों का नाश करने के लिए श्री कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में इसी दिन हुआ था। आइए श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में जानकारी प्राप्त करें।



श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व संपूर्ण भारत वर्ष के साथ -साथ विश्व के विभिन्न हिस्सों में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष - अष्टमी को खूब श्रद्धा भक्ति - भाव से मनाया जाता है। इसी दिन द्वापरयुग में मथुरा के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। 

इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 7 सितम्बर 2023 दिन गुरुवार को है।
  
      "यदा यदा हि धर्मस्यगलानिर्भवतुभारत -----" जब -जब धरती पर आतंकियों और आताताइयो का साम्राज्य बढ़ जाता है, तब- तब भगवान श्री विष्णु पृथ्वी पर नया अवतार लेकर पृथ्वी को आतंकियों से मुक्ति दिलाते हैं। श्री विष्णु द्वापरयुग में आठवें अवतार धारण कर श्रीकृष्ण बनकर कंस, जरासंध, वकासुर, नरकासुर, संभरासुर आदि हजारों असुरों का संहार कर पृथ्वी का भार कम किए थे।                                        मथुरा में कंस का आतंक चरम पर था। उसने आस - पास के अन्य दुष्ट राजाओं से मित्रता कर आतंक का साम्राज्य स्थापित कर लिया था। यहां तक कि उसने अपने पिता महाराज उग्रसेन को भी बन्दी बनाकर कारागार में डाल दिया था। इतना ही नहीं, वल्कि उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को भी नही छोड़ा। उन्हें भी मथुरा के कारागार में डाल दिया था। वास्तव में एक बड़ी भविष्य वाणी हुई थी जिसमें बताया गया था कि देवकी- वसुदेव का आठवां संतान ही कंस का वध करेगा। इसलिए भयभीत होकर वह देवकी के सभी संतानों को धरती पर आते ही मार देता था।                                                                                     भादों मास की अंधेरी रात, खूब भयंकर वर्षा हो रही थी। देवकी- वसुदेव कंस के कारागार में बंद थे। हाथ पैर बेड़ियों से बंधे थे। ऐसी ही भादों की भयंकर रात में श्रीकृष्ण का जन्म होता है। उनके जन्म लेते ही सारे पहरेदार सैनिक गहरी नींद में सो गये। जेल का ताला टूट गया और वसुदेव की बेड़ियां खुल गई।   वे नवजात शिशु को लेकर यमुना पार कर गोकुल अपने मित्र नंद के यहां चले गए और अपने पुत्र को यशोदा के पास छोड़ दिए। इसलिए गोकुल में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी खूब धूमधाम से मनाया जाता है।                                                                                  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खूब सजाया जाता है। पालने पर भगवान को बैठाकर लोरिया गाई जाती है। "  झूूूूला लगे कदंंब के डाली झूले  कृष्ण  मुरारी हे। कृष्ण झूले राधा झुुुुलावे--------लोग "उपवास करते हैं। पूजा-पाठ कर दान पुण्य करते हैं। कुछ प्रसिद्ध गीत "नंदकिशोर नंदलाला जियो मेरे लाल--------! तथा यशोदा का नंदलाला बृज का--------!          घर घर में गाया बजाया जाता है। बच्चों के लिए भी यह दिन उल्लास का होता है। मटकी फोड़ का खेल भी होता है।        वास्तव में श्री कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास का त्योहार है।                         

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