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गिरिधर की कुंडलियां, Giridhar ki kundaliya, bhawarth, questions answers कुंडली के अर्थ, शब्दार्थ

गिरिधर की कुंडलियां, अर्थ सहित, Giridhar ki kundaliya,  bhawarth, questions answers कुंडली के अर्थ, शब्दार्थ, गिरधर कविराय के जीवन के कुछ अंश, कुंडलियां की विशेषता  बीती ताहि बिसार दे, सांई अपने चित्त की, बिना बिचारे जो करे biti tahi bisar de, Sai apne chitt ki, Bina bichare Jo kare, girdhar ki kundaliya, girdhar kavirai, class 8 poem  बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेई ; का अर्थ बताएं  बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेई का हमारे जीवन में क्या महत्व है। बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेई । जो बनि आवै सहज में , ताहि में चित्त देई ।‌। ताहि में चित्त देई, बात जोई बनी आवै । दुर्जन हसै न कोई , चित्त में खता न पावै।। कह गिरधर कविराय, यहै करुमन परतीती। आगे को सुख समुझि, हो, बीती सो बीती।। भावार्थ  गिरिधर की कुंडलियां शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है। प्रेरणा दायक है। कवि कहते हैं -- जो बीत गई सो बात गई। जो बात बीत गई उसे वहीं भूल जाना चाहिए। और आगे का काम देखना चाहिए। इसी में भलाई है। इससे मन में कोई दुःख भी नहीं होता। इसलिए बीती बातें भूल जाओ। अपने मन की बात किसी को क्यों नहीं बताना च

जैसी करनी वैसी भरनी Jaisi karni waisi bharni

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                जैसी करनी वैसी भरनी                    Jaisi  karni  waisi bharni                   लेखक -- डॉ उमेश कुमार सिंह  एक राजा था । उसने अपने तीन दरबारी मंत्रियों को बुलाया और कहा -- जाओ और अपने हाथ में एक एक थैली लेकर शीघ्र आओ। राजा की आज्ञा थी। भला विलम्ब कैसे होती ? तीनों मंत्रियों ने जल्दी से एक - एक थैली लेकर राजा के पास हाजिर हुए। अब राजा ने उन्हें उस थैले में ऐसे - ऐसे फल भरकर लाने को कहा जो राजा को पसंद हों। राजा की पसंद की बात थी । तीनों मंत्री बगीचे की ओर दौड़ पड़े।  अब आगे की बात सुनिए। पहले मंत्री ने सोचा - राजा को पसंद करने के लिए हमें अच्छे-अच्छे फल इक्कठे करने चाहिए। राजा खुश होंगे तो हमें इनाम देंगे। ऐसा सोचकर उसने खूब मीठे-मीठे फ़ल थैली में भर लिए।  अब दूसरे मंत्री की बात सुनिए। उन्होंने सोचा। राजा कौन थैली खोलकर फल देखने जा रहे हैं। इसलिए उन्होंने जैसे तैसे कुछ अच्छे कुछ खराब फल थैली में भर लिए। अब तीसरे मंत्री की करतूत सुनिए। उसने सोचा - राजा के महल में फलों की क्या कमी है। कौन थैली देखने जा रहा है। इसलिए उन्होंने फल की जगह थैली में ईंट पत्थर भर लिए।  तीनों

संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?

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  संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? महाभारत में यक्ष ने वनवास के दौरान युधिष्ठिर से पूछा -- संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?  युधिष्ठिर ने उत्तर दिया -- हर रोज आंखों के सामने कितने ही प्राणियों को मृत्यु के मुख में जाते देखकर भी बचे हुए प्राणी, जो यह चाहते हैं कि हम अमर हैं । यही सबसे बड़ा आश्चर्य है। यह बात बिल्कुल सही कहा युधिष्ठिर ने । संसार नश्वर है। यहां सब कुछ समाप्त होने वाले हैं। यह बात सच होते हम रोज देखते हैं। परंतु फिर भी अहंकार के वश में होकर मनुष्य अमर होने जैसा व्यवहार करता है। यह आश्चर्य नहीं तो और क्या है। सच्चा हितैषी निबन्ध  ।  क्लिक करें और पढ़ें।

नचिकेता कहानी का सारांश और प्रश्न - उत्तर Nachiketa story summary and questions answers

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 Nachiketa  नचिकेता कहानी  स्वर्ग पाने के उपाय sawarg pane ke upay आत्मा का रहस्य क्या है ? Atama ka rahasya                नचिकेता  नचिकेता कहानी का सारांश और प्रश्न - उत्तर Nachiketa story summary and questions answers , by Dr. Umesh Kumar Singh  नचिकेता कहानी कठोपनिषद से ली गई है। यह कथा बालक नचिकेता के माध्यम से एक ऐसा उदात्त चरित्र प्रस्तुत करती है जिसमें अटूट सत्य निष्ठा, दृढ़ पितृभक्ति के साथ अनुचित कार्य करने पर  पिता का विरोध करने का और आत्म ज्ञान हेतु सांसारिक सुखों के प्रलोभन को ठुकरा देने का साहस भी है। नचिकेता का चरित्र अनुकरणीय है। यहां कहानी के साथ ही प्रश्न उत्तर भी दिया गया है। यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित हो रही थी। वेद मंत्रों के साथ ब्राह्मण यज्ञ कुंड में घी आदि की आहूतियां दे रहे थे। वेदोच्चारण से वातावरण पवित्र हो रहा था। वाजश्रवा के चेहरे पर विशेष प्रसन्नता का भाव था क्योंकि उनके द्वारा आयोजित यज्ञ की आज पूर्णाहूति जो थी। देश भर के बड़े - बड़े विद्वान पंडित वहां पधारे थे । उन्हें लग रहा था कि यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात वाजश्रवा उन्हें एक से बढ़कर एक कीमती और उपयोगी