ठंड के मौसम में होने वाली बीमारी और बचाव


 


'पूस की रात' कहानी में कथाकार मुंशी प्रेमचंद जाड़े की हाड़ कंपा देने वाली रात का जो वर्णन किया है वह बिल्कुल सत्य है। बड़े - बुजुर्ग, छोटे बच्चे और बीमार लोग के लिए यह मौसम बहुत कष्टदायक और खतरनाक है। ठंडी रात में जब शीतलहर चलती है तो मनुष्य के साथ-साथ सभी जीव जंतु ठिठुर जाते हैं। तो आइए, ठंड के मौसम में होने वाले रोग और उन्हें रोकने वाली सावधानियों पर संक्षेप में चर्चा करते हैं।

1. सूखी त्वचा और ओठों का फटना -

जाड़े में त्वचा शुष्क और कड़ी हो जाती है। ओंठ फेट आम बात है। ऐसे में हमें त्वचा और ओंठ की देखभाल अधिक करनी चाहिए। त्वचा गंदी अधिक होती है। इसलिए इनकी नियमित साफ सफाई आवश्यक है। त्वचा को सुंदर और मुलायम रखने के लिए नियमित रूप से नारियल तेल और बाड़ी लोशन का सेवन करना चाहिए। होंठों को सुंदर और श्याम रखने के लिए बोरोलीन, वैश्लीन का उपयोग करना चाहिए। इस मौसम में त्वचा शुष्क होने से फंगल जीवाणुओं के कारण खुजली जैसी बीमारियों से बचाव करना चाहिए।सच्चा हितैषी निबन्ध । क्लिक करें और पढ़ें।

2. एड़ियों और पैरों में बिवाई फिट ----

 ठंड   के कारण कुछ लोगों की एड़ियों में बिवाई फट जाती है।यह बड़ी पीड़ादायक होती है। जिसके पैर में यह बीमारी होती है, वही इसका कष्ट जानता है भाई। किसान भाई और गांव गिरन में रहने वाले लोगों को यह अधिक होता है। धूल और धुंध ही इसका मुख्य कारण है। इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए गर्म पानी से एड़ियों की सफाई आवश्यक है। एल्स    को ठीक रखने के लिए बाजार में तरह तरह के क्रीम उपलब्ध हैं, उनका इस्तेमाल से इसे को फटने से बचाना है।

मीराबाई के पद "कविता भी पढ़ें)

3 बालों की समस्या -

सर्दियों में ठंडक और शुष्की बढ़ने से बालों में आद्रता और तैलीय पदार्थों की कमी आ जाती है। ठंड में रूसी की समस्या भी होती है। इनसे बचाव के लिए बालों को नियमित पोषाहार की आवश्यकता होती है। बालों के पोषण के लिए गुनगुने नारियल तेल का सेवन सप्ताह में कम से कम दो बार अवश्य करें। रूसी से बचने के लिए लेमन जूस और सैम्पू का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। भीगे बालों को प्राकृतिक तरीके से सुखाना चाहिए।

4.सर्दी, खाँसी, जुकम और डायरिया -

ठंड का सबसे अधिक असर छोटे बच्चों और बुजुर्गो पर होता है। थोड़ी सी असावधानी से सर्दी जुखाम और डायरिया होने की संभावना हो जाती है। डायबिटीज, बल्ड प्रेशर के मरीजों के लिए यह मौसम ज्यादा खतरनाक होता है। हृदय रोग के रोगियों को अधिक सावधानी की जरूरत होती है। ठंडे पानी और ठंडे भोजन से बचना चाहिए। लेकिन पानी डॉ। पीना चाहिए  ठंडी हवा से आग और जिस दिन अधिक ठंड हो उस दिन बाहर न बाहर निकलते हैं। घर में ही थोड़ा ब्यायाम करें। ऊनी कपड़ों से शरीर ढक कर रखें। इन उपायों से अपने और अपने परिवार को ठंड से बचाइए।लेखक परिचय=

डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।


 

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