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बिहार (India) के प्रसिद्ध नौ सूर्य मंदिर

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 बिहार (भारत) के प्रसिद्ध नौ सूर्य मंदिर, Famous Sun Temple of Bihar (India )                        Dew, Aurangabad बिहार (India ) के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर जहां श्रद्धालुओं की छठ पूजा में भाड़ी भीड़ रहती है। 1 देवार्क सूर्य मंदिर, देव, औरंगा बाद   2 उमगार्क मंदिर, उमरा पर्वत 3 पुण्यार्क सूर्य मंदिर, बाढ़, पटना।               4 उलार्क सूर्य मंदिर, मसोढी 5 हंडार्क सूर्य मंदिर, नवादा 6 टुंडवार्क सूर्य मंदिर, गया 7 दक्षिणयार्क सूर्य मंदिर, गया 8 वालार्क सूर्य मंदिर, नालन्दा 9 अंगार्क (औंगारी) सूर्य मंदिर, नालन्दा

दीपावली, धनतेरसdeepawali, Dhanteras

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दीपावली 2021 , 04 नवंबर को तथा धनतेरस 02 नवंबर को मनाया जाएगा। दीपावली पर निबंध, deepawali nibandh, essay on deepawali in hindi विषय - सूची दीपावली क्या है दीपावली क्यों मनाया जाता है। दीपावली की कहानी। नरकासुर का वध। राम वापस अयोध्या आए। दीपावली की शोभा। धनतेरस का त्योहार। धनतेरस पर खरीदारी दीपावली पर सावधानी दीपों का त्योहार दीपावली कार्तिक मास के अमावस्या को संपूर्ण भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। वर्षा ऋतु की गंध को साफ करने का अभियान भी दीपावली है। दीपावली के एक महीने पूर्व से ही लोग अपने घरों की सफाई करने में लग जाते हैं। दीपावली की कहानी भारतवर्ष के प्रत्येक त्योहारों में कोई ना कोई पौराणिक या ऐतिहासिक कथा कहानी अवश्य जुड़ी रहती है। दीपावली से जुड़ी भी कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार इसी दिन दशरथ नंदन श्री राम महा पापी रावण का सर्वनाश कर के अपने अनुज लक्ष्मण और पत्नी          सी ता माता के साथ अयोध्या वापस आए थे। उनके सकुशल वापस अयोध्या आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाए थे और खुशियां मनाई थीं। तब से यह त्योहार धूमधाम से प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा।

दुर्गा पूजा २०२१ (Durga Puja 2021 )

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 दुर्गा पूजा भारत का प्रमुख त्योहार है। संपूर्ण भारत में इसे दशहरा पर्व भी कहा जाता है। यह त्योहार शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में यह त्योहार पाप पर पुण्य की जीत का त्योहार है। दुर्गा पूजा नौ दिनों तक चलती है। नवमी को माता दुर्गा ने दानव महिषासुर का वध किया था। वह बड़ा मायावी था। उसके आतंक से भयभीत होकर देवताओं ने मां भगवती की आराधना की। तब मां ने देवी दुर्गा का अवतार लेकर महिषासुर के आतंक से संसार की रक्षा की थी। दुर्गा-- दु: केन गम्यते प्राप्यते वा। मां दुर्जय और दुर्गायतीनाशिनी है। मासिन  मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन से ही दुर्गा पूजा प्रारंभ हो जाती है। जगह- जगह भव्य पंडालों में कलश स्थापना हो जाता है।  इस दिन से ही भक्तजन बड़े ही सात्विक तरीकों से मां की पूजा में तल्लीन हो जाते हैं। पंडालों में सिंह वाहिनी महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। दसों हाथों में त्रिशूल, चक्र, शक्ति, गदा, धनुष, पाश, अंकुश और अस्त्र-शस्त्र हैं। उनके आसपास ही लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश, कार्तिके की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। सप्तमी से दसवीं तक लोगों की भीड़ परा