यही तो जीवन है ! कहानी
यही तो जीवन है !
एक कवि बाग में टहल रहे थे। बाग में हजारो फूल खिले थे। बाग का नजारा स्वर्ग के जैसा था। कवि महोदय एक फूल के पास गये और बोले, मित्र , तुम कुछ दिनों में मुरझा जाओगे। फिर भी इतना मुस्कुरा रहे हो ? इतना खिले रहते हो ? तुम्हें दुख नहीं होता ?
फूल कुछ नहीं बोला। तभी एक तितली कहीं से उड़ती हुई आई और फूल पर बैठ गई। काफी देर तक तितली ने फूल के सुगंध का आनंद लिया और फिर उड़ गई। ।
कुछ देर बाद एक भंवरा आया। उसने फूल के चारों ओर चक्कर लगाते हुए संगीत सुनाया। फूल पर बैठ कर रस पीया और चलता बना। धीमी गति से हवा चलती रही और फूल खुशियों से झूमता रहा।
एक मधुमक्खी आयीं और फूल का ताजा, मधुर पराग लेकर मधु बनाने चली दी। मधुमक्खी भी खुश, फूल भी खुश। तभी एक बच्चा आया। वह फूल को देखकर उसके पास गया। उसने अपने नन्हें और कोमल हाथों से फूल का स्पर्श किया और खेल में रम गया।
अब फूल ने कवि से कहा, यह सच है कि मेरा जीवन छोटा है , लेकिन इस छोटे से जीवन से ही मैंने बहुत सारे लोगों के जीवन में मुस्कान बिखेरी है। मुझे पता है कि मुझे कल इस मिट्टी में मिल जानीं है, लेकिन इस मिट्टी ने ही मुझे ताजगी और सुगंध दी है। तो मुझे इसमें मिलने में कोई शिकायत नहीं है।
फूल ने आगे कहा , मैं मुस्कराता हूं, क्योंकि मैं मुस्कुराना जानता हूं। मेरे बाद कल फिर इस मिट्टी में नया फूल खिलेगा। और यह बाग महक उठेगा। न ही यह ताजगी कम होगी और नहीं यह मुस्कुराहट। यही तो जीवन है। जीवन ऐसे ही चलता रहता है।
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