आया बसंत कविता aaya Basant
 
                आया बसंत कविता                  Aaya Basant poem आया बसंत, आया बसंत।  आई जग में शोभा अनंत।  सरसों खेतों में उठी फूल।  बौरे आमों में उठी झूल  बेलों में फूले नए फूल । पल में पतझड़ का हुआ अंत । आया बसंत, आया बसंत ।। लेकर सुगंध बह रही पवन । हरियाली छाई है वन - वन। सुंदर लगता है घर - आंगन । है आज मधुर सब दिग् - दिगंत। आया बसंत - आया बसंत भौरें गाते हैं नया गान, कोकिला छेडती नया तान। हैं सब जीवों के सुखी प्राण, इस सुख का हो अब नहीं अंत, घर - घर में छाए नित बसंत।। भावार्थ ऋतु राज बसंत आया है। बसंत के शुभागमन से चारों ओर सुंदरता आ गई है। खेतों में सरसों फूल गयी है। आम फिर बौरा गए हैं।मंजरियां आ गई है। बेलों में फूल आ गये। पतझड़ का अंत हो गया। ऋतु राज बसंत आ गया। पवन सुगंध भरी हवा लेकर बह रहा है। चारों दिशाएं फूल पत्तियों से सुगंधित है। घर आंगन सुंदर लगता है। सारी दिशाएं मधुर लगता है , क्योंकि ऋतु राज बसंत आया है। कवि सोहन लाल द्विवेदी यह कामना करते हैं कि घर घर में खुशियां छाए। जैसे भौंरे गुनगुना रहे हैं, कोकिला मधुर तान छेड़ रही है, वैसे ही हमेशा सबके ज...