अरुण यह मधुमय देश हमारा, गीत जयशंकर प्रसाद
अरुण यह मधुमय देश हमारा
Arun yah maddumay desh hamara
Jayshankar Prasad
अरुण यह मधुमय देश हमारा ।
अरुण यह मधुमय देश हमारा,
जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्भ विभा पर,
नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर,
मंगल कुंकुम सारा।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।।
लघु सुर धनु से पंख पसारे,
शीतल मलय समीर सहारे,
उड़ते खग जिस ओर मुंह किए,
समझ नीड़ निज प्यारा।।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।।
बरसाती आंखों के बादल,
बनते जहां भरे करुणा जल,
लहरें टकरातीं अनंत की,
पाकर जहां किनारा।।
हेमकुंभ ले ऊषा सवेरे,
भरती ढुलकाती सुख मेरे,
मंदिर उंघते रहते जब जग --
कर रजनी भर तारा।।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।।
शब्दार्थ और कठिन शब्दों के अर्थ
अरुण - लालिमा , सूरज, दिनकर।
मधुमय - मृदुल, मीठा, प्यारा
सरस - रस भरे
तामरस - कमल
विभा - सुबह, प्रातः
तरुशिखा- पेड़ की फुनगी
मनोहर - मन को हरने वाला, मन को लुभाने वाले।
कुंकुम -- सिन्दूर।
लघु - छोटे
सुर धनु - इंद्रधनुष
खग - पंछी
नीड़ - घोंसला
निज - अपना
हेम - सोना
कुंभ - घड़ा
हेमकुंभ -- स्वर्ण कलश।
उषा - सुबह
रजनी - रात।
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