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वर्षा -ऋतु(Varsha Ritu) हिंदी- निबंध

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वर्षा ऋतु निबंध, Varsha Ritu nibandh, rainy season essay,  ऋतुओं की रानी वर्षा, वर्षा का आगमन, वर्षा का प्रकृति पर प्रभाव, वर्षा से लाभ, वर्षा से नुकसान, वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियां, निष्कर्ष यदि बसंत ऋतुओं का राजा है तो वर्षा ऋतुओं की रानी है। वर्षा -ऋतु के आते ही आसमान में काले- काले बादल छा जाते हैं। मेघ घमंडी हाथियों की तरह गरज- गरज कर लोगों को डराने लगता है। घनघोर वर्षा होने लगती है। चारों ओर हरियाली छा जाती है। मानो प्रकृति रानी ने जैसे हरी चादर ओढ़ ली हो। काले- काले बादल देख मोर अपने पंख फैलाकर वनों में नाचने लगते हैं। पपीहे, दादुर, झींगुर की आवाज़ें प्रकृति में गूंज उठती है। ताल तलैया भर जाते हैं।  ग्रीष्म   ऋतु की मार से तपति धरा तृप्त हो जाती है। बागों में झूले लग जाते हैं। नव तरुणियों के मन उल्लसित हो जाते हैं।  नदियों में जल भर जाता है और उनका वेग भी बढ़ जाता है। मानो इतराती हुई अपने प्रियतम सागर से मिलने जा रही हो। और  किसानों की खुशियों की तो बात ही ना पूछो। वह हल बैल के लेकर अपने खेत की ओर निकल पड़ते हैं। धान की बुवाई प्रारंभ हो जाती ह...

यही तो जीवन है ! कहानी

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         यही तो जीवन है ! एक कवि  बाग में टहल रहे थे।  बाग में हजारो फूल खिले थे।  बाग का नजारा स्वर्ग के जैसा था। कवि महोदय एक फूल के पास गये और बोले, मित्र , तुम कुछ दिनों में मुरझा जाओगे। फिर भी इतना मुस्कुरा रहे हो ? इतना खिले रहते हो ? तुम्हें दुख नहीं होता ? फूल कुछ नहीं बोला। तभी एक तितली कहीं से उड़ती हुई आई और फूल पर बैठ गई। काफी देर तक तितली ने फूल के सुगंध का आनंद लिया और फिर उड़ गई। । कुछ देर बाद एक भंवरा आया। उसने फूल के चारों ओर चक्कर लगाते हुए संगीत सुनाया। फूल पर बैठ कर रस पीया और चलता बना। धीमी गति से हवा चलती रही और फूल खुशियों से झूमता रहा।  एक मधुमक्खी आयीं और फूल का ताजा, मधुर पराग लेकर मधु बनाने चली दी। मधुमक्खी भी खुश, फूल भी खुश। तभी एक बच्चा आया। वह फूल को देखकर उसके पास गया। उसने अपने नन्हें और कोमल हाथों से फूल का स्पर्श किया और खेल में रम गया।  अब फूल ने कवि से कहा, यह सच है कि मेरा जीवन छोटा है , लेकिन इस छोटे से जीवन से ही मैंने बहुत सारे लोगों के जीवन में मुस्कान बिखेरी है। मुझे पता है कि मुझे कल इस मिट्टी ...

अरुण यह मधुमय देश हमारा, गीत जयशंकर प्रसाद

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    अरुण यह मधुमय देश हमारा  Arun yah maddumay desh hamara Jayshankar Prasad  अरुण यह मधुमय देश हमारा ।     अरुण यह मधुमय देश हमारा,          जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा। सरस तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर। छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा। अरुण यह मधुमय देश हमारा।। लघु सुर धनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे, उड़ते खग जिस ओर मुंह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।। अरुण यह मधुमय देश हमारा।। बरसाती आंखों के बादल, बनते जहां भरे करुणा जल, लहरें टकरातीं अनंत की, पाकर जहां किनारा।। हेमकुंभ ले ऊषा सवेरे, भरती ढुलकाती  सुख मेरे, मंदिर उंघते रहते जब जग -- कर रजनी भर तारा।। अरुण यह मधुमय देश हमारा।। शब्दार्थ और कठिन शब्दों के अर्थ  अरुण - लालिमा , सूरज, दिनकर। मधुमय - मृदुल, मीठा, प्यारा  सरस - रस भरे  तामरस - कमल  विभा - सुबह, प्रातः  तरुशिखा- पेड़ की फुनगी  मनोहर - मन को हरने वाला, मन को लुभाने वाले। कुंकुम -- सिन्दूर। लघु - छोटे  सुर धनु - इंद्रधनुष  खग - पंछी  न...

धर्मनिरपेक्षता ( secularism) पंथनिरपेक्षता

  धर्मनिरपेक्षता ( secularism)            पंथनिरपेक्षता  धर्मनिरपेक्षता क्या है। पंथनिरपेक्षता किसे कहते हैं? Secularism in hindi  Dharamnirpekshta kya hai. धर्मनिरपेक्षता का महत्व हिन्दी में  धर्मनिरपेक्षता (जिसे पंथनिरपेक्षता भी कहा जाता है) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो राज्य और धर्म के संबंधों को परिभाषित करती है। इसका मूल विचार यह है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होता और वह सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करता है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ सरल शब्दों में, धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य या सरकार किसी भी विशेष धर्म को बढ़ावा नहीं देगी, न ही किसी धर्म के साथ भेदभाव करेगी। इसके बजाय, यह सभी धर्मों को समान सम्मान देगी और नागरिकों को अपनी पसंद के किसी भी धर्म का पालन करने, न करने या बदलने की पूरी स्वतंत्रता देगी। इसके मुख्य पहलू हैं:  * राज्य और धर्म का पृथक्करण: इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य धर्म के खिलाफ है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि धार्मिक मामलों में राज्य हस्तक्षेप न करे और राज्य के निर्णयों पर धर्म का कोई प्रभाव न पड़े। ...

भारत की कुछ प्रमुख लड़ाइयां

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          भारत की कुछ प्रमुख लड़ाइयां  भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ी गई हैं, जिन्होंने देश की दिशा और दशा को निर्धारित किया। यहाँ कुछ प्रसिद्ध लड़ाइयों की सूची दी गई है। यह सूची छात्र छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगिताएं और परीक्षाओं में सफलता का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक होगी।   प्राचीन काल की लड़ाइयाँ:  * दशराज्ञ युद्ध (लगभग 14वीं शताब्दी ईसा पूर्व): ऋग्वेद में वर्णित यह युद्ध भरत जनजाति और दस राजाओं के गठबंधन के बीच लड़ा गया था, जिसमें भरत विजयी हुए थे।  * हाइडस्पेस का युद्ध (326 ईसा पूर्व): सिकंदर और पोरस के बीच झेलम नदी के किनारे लड़ा गया, जिसमें सिकंदर विजयी हुआ।  * कलिंग का युद्ध (261 ईसा पूर्व): सम्राट अशोक और कलिंग के राजा के बीच लड़ा गया, जिसके बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया।  * सेल्यूसिड-मौर्य युद्ध (305-303 ईसा पूर्व): चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस I निकेटर के बीच लड़ा गया, जिसके परिणामस्वरूप मौर्य साम्राज्य का विस्तार हुआ। मध्यकालीन भारत की लड़ाइयाँ:  * तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.): पृथ्वीराज ...

पर्यायवाची शब्द , समानार्थी शब्द

          पर्यायवाची शब्द                 अथवा  समानार्थी शब्द किसे कहते हैं  हिंदी व्याकरण में पर्यायवाची शब्द उन शब्दों को कहते हैं जिनका अर्थ लगभग समान होता है, लेकिन वे अलग-अलग होते हैं। इन्हें समानार्थी शब्द भी कहा जाता है। भाषा में पर्यायवाची शब्दों का बहुत महत्व है। इससे शब्द संपदा में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए:  * पानी के पर्यायवाची शब्द हैं: जल, नीर, वारि, तोय।  * आँख के पर्यायवाची शब्द हैं: नेत्र, लोचन, चक्षु, दृग।  * खुशी के पर्यायवाची शब्द हैं: प्रसन्नता, आनंद, हर्ष, उल्लास। * घर के पर्यायवाची शब्द : महल, भवन, निकेतन। * कमल के पर्यायवाची शब्द : नीरज, पंकज, जलज, अम्बूज। * देवता शब्द के पर्यायवाची शब्द: देव, सुर, अमर। * इंद्र के पर्यायवाची शब्द : सुरपति, देवेन्द्र, देवेश। * आम का पर्यायवाची शब्द : आम्र, रसाल। * हाथी का पर्यायवाची शब्द : गज, हस्ति। *हवा का पर्यायवाची शब्द : पवन, वात, वायु। * सूर्य का पर्यायवाची शब्द: सूरज, रवि, दिनकर। *बादल का पर्यायवाची शब्द : घन, मेघ, जलद  ...

संपादक किसे कहते हैं? संपादक के कार्य क्या है। Editor kise kahte hai. Editor ke karya

  संपादक किसे कहते हैं ? What do you mean by editor  Work of editor,  संपादक (Editor) वह व्यक्ति होता है जो किसी समाचार पत्र, पत्रिका, वेबसाइट या अन्य प्रकाशन के लिए सामग्री का चयन, संपादन और समीक्षा करता है। संपादक का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रकाशन की सामग्री सटीक, निष्पक्ष और पठनीय हो। यह सामग्री पाठकों के रूचि के अनुकूल है या नहीं। संपादक समाचार पत्र, पत्रिका अथवा प्रकाशन का मुखिया होता है। संपादक के कार्य:  * सामग्री का चयन:    * संपादक यह तय करता है कि किस प्रकार की सामग्री प्रकाशित की जाएगी।    * वे समाचार, लेख, चित्र और अन्य सामग्री का चयन करते हैं जो प्रकाशन के लिए सबसे उपयुक्त हैं।  * संपादन:    * संपादक सामग्री की सटीकता, व्याकरण और शैली की जांच करते हैं।    * वे सामग्री को स्पष्ट और संक्षिप्त बनाने के लिए संपादित करते हैं।    * आवश्यकता पड़ने पर लेखक को सुझाव देना।  * समीक्षा:    * संपादक यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रकाशन की सामग्री प्रकाशन के मानकों को पूरा करती है।   ...

आया बसंत कविता aaya Basant

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  आया बसंत कविता Aaya Basant poem आया बसंत, आया बसंत।  आई जग में शोभा अनंत।  सरसों खेतों में उठी फूल।  बौरे आमों में उठी झूल  बेलों में फूले नए फूल । पल में पतझड़ का हुआ अंत । आया बसंत, आया बसंत ।। लेकर सुगंध बह रही पवन । हरियाली छाई है वन - वन। सुंदर लगता है घर - आंगन । है आज मधुर सब दिग् - दिगंत। आया बसंत - आया बसंत भौरें गाते हैं नया गान, कोकिला छेडती नया तान। हैं सब जीवों के सुखी प्राण, इस सुख का हो अब नहीं अंत, घर - घर में छाए नित बसंत।। भावार्थ ऋतु राज बसंत आया है। बसंत के शुभागमन से चारों ओर सुंदरता आ गई है। खेतों में सरसों फूल गयी है। आम फिर बौरा गए हैं।मंजरियां आ गई है। बेलों में फूल आ गये। पतझड़ का अंत हो गया। ऋतु राज बसंत आ गया। पवन सुगंध भरी हवा लेकर बह रहा है। चारों दिशाएं फूल पत्तियों से सुगंधित है। घर आंगन सुंदर लगता है। सारी दिशाएं मधुर लगता है , क्योंकि ऋतु राज बसंत आया है। कवि सोहन लाल द्विवेदी यह कामना करते हैं कि घर घर में खुशियां छाए। जैसे भौंरे गुनगुना रहे हैं, कोकिला मधुर तान छेड़ रही है, वैसे ही हमेशा सबके ज...

शेष गणेश महेश दिनेश, रसखान के सवैया

  शेष गणेश महेश दिनेश  शेष गणेश, महेश दिनेश,  सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं।।  जाहि अनादि अनंत अखंड  अछेद अभेद सूबेद बतवैं। नारद से सुक व्यास रहैं  पचि हारे तऊ पुनि पार ना पावैं ।  ताहि अहीर की छोहरियां  छछिया भरि छाछ पर नाच नचावे। भावार्थ रसखान कवि कहते हैं, जिसके गुणों का वर्णन शेषनाग, शिवशंकर जी गणेश जी, सूर्य भगवान नहीं कर सके। जिन्हें वेद पुराण अनादि, अनंत, अखंड अछेद और अभेद कहते हैं। नारद और शुकदेव जी जैसे गुणी व्यास जिनका वर्णन नहीं कर सकते। वह श्री हरि विष्णु श्रीकृष्ण को गोकुल में ग्वाले के लड़कियां थोड़ी सी छाछ और मक्खन की लालच देकर नाच नचाती हैं। Posted by Dr Umesh Kumar Singh, Bhuli Nagar Dhanbad Jharkhand, India ************************************"********** मीराबाई के पद" कविता प्रतिरक्षा शक्ति निबंध बसंत   ऋतु निबंध घर की याद कविता भवानी प्रसाद मिश्रा    क्लिक करें और पढ़ें। Science  : Pros & Cons- Essay कृष्णा सोबती द्वारा मिया नसरुद्दीन की कहानी रिश्ता  (क्लिक करें और पढ़ें)

काम की बातें, जिनपर हमें अवश्य ध्यान देना चाहिए!

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  काम की बातें, जिनपर हमें अवश्य ध्यान देना चाहिए! यह ठीक है कि रोज एक ही काम अथवा एक ही तरह से काम करते - करते मन और तन दोनों थक जाता है। नहीं तो कम से कम एक थकावट और रूकावट तो महसूस होने जरूर लगता है। यदि रोज दोहराई जाने वाली आदतों अथवा काम करने के तरीके में थोड़ा परिवर्तन कर दिया जाए , तो अवश्य बेहतर महसूस किया जा सकता है। यहां हम जानकारों और विद्वानों द्वारा बताए गए कुछ उपायों को प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने आप को बेहतर बना सकते हैं। आइए कुछ जानी पहचानी आदतों को अपनी रोजमर्रा के जीवन में अपनाएं।  * प्रतिदिन कुछ पढ़ें  एक बहस आम बात है कि लोगों में पुस्तकें पढ़ने की आदतें पहले जैसी ही है अथवा घटी है। यदि प्रतिदिन कुछ पढ़ने की आदत है तब तो अच्छी बात है। नहीं है तो रोज कुछ न कुछ अवश्य पढ़ें। शुरू में कुछ कम पढ़ेंगे लेकिन धीरे-धीरे आदत हो जायेगी और आप पुस्तक पढ़ने के शौकीन बन जाएंगे। पुस्तकें ज्ञान तो देती ही है, अकेलापन भी दूर करती है। पुस्तकें मनुष्य की अच्छी साथी है।  * प्रतिदिन कुछ अवश्य लिखें  मनुष्य को कुछ न कुछ अवश्य लिखना चाहिए। डायरी लेखन...

भारत के राज्य, राजधानी और मुख्यमंत्री के नाम

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  भारत के राज्य, राजधानी और मुख्यमंत्री के नाम  भारत में 28 राज्य और 09 केंद्र शासित प्रदेश है। भारत के राज्यों की सूची में समय-समय पर बदलाव आते रहते है। सबसे ताज़ा जानकारी के लिए स्थानीय समाचारों को देखते रहना चाहिए। यहां भारत के सभी राज्यों की सूची है, जिसमें उनकी राजधानी और वर्तमान मुख्यमंत्री शामिल हैं: | राज्य | राजधानी | मुख्यमंत्री | 1. | आंध्र प्रदेश | अम्रावाठी | वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी | 2.| अरुणाचल प्रदेश | इटानगर | पेमा खांडू | 3.| असम | दिसपुर | हिमंत बिस्वा सरमा | 4.| बिहार | पटना | नीतीश कुमार | 5.| छत्तीसगढ़ | रायपुर | भूपेश बघेल | 6./ गोवा | पणजी | प्रमोद सावंत | 7.| गुजरात | गांधीनगर | भूपेंद्रभाई पटेल | 8.| हरियाणा | चंडीगढ़ | मनोहर लाल खट्टर | 9./हिमाचल प्रदेश | शिमला | जय राम ठाक 10.| झारखंड | रांची | हेमंत सोरेन | 11.| कर्नाटक | बेंगलुरू | श्री बसवराज बोम्मई | 12.| केरल | तिरुवनंतपुरम | पिनाराय विजयन | 13./मध्य प्रदेश | भोपाल |  | मोहन यादव  14.| महाराष्ट्र | मुंबई | एकनाथ शिंदे | 15.| मणिपुर | इम्फाल | एन बिरेन सिंह | 16.| मेघालय | शिलोंग | कॉन...

सावधान, जननायक सावधान! कविता, भावार्थ, sawdhan jannayak poem, Balkrishna Rao

 सावधान! जननायक   कविता , भावार्थ,सार  कवि बालकृष्ण राव Sawdhan jannayak poem/ Balkrishna Rao, जननायक को झूठी प्रशंसा से बचना चाहिए  यह स्तुति का सांप तुम्हें डस न ले। बचो तुम इन बढ़ी हुई बाहों से  धृतराष्ट्र मोहपाश  कहीं तुम्हें कस न ले। सुनते हैं कभी किसी युग में  पाते ही राम का चरण स्पर्श  शिला प्राणवती हुई। देखते हैं किंतु आज  अपने उपास्य के चरणों को छू छू कर भक्त उन्हें पत्थर की मूर्ति बना देते हैं। सावधान, भक्तों की टोली आ रही है  पूजा - द्रव्य लिए! बचो अर्चना से, फूल माला से, बचो वंदना की वंचना से, आत्म - रति से, बचो आत्म पोषण से। सावधान! जननायक कविता का भावार्थ  सावधान जननायक कविता कविवर बालकृष्ण राव द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने जननायक से अपने प्रशंसकों की झूठी प्रशंसा से बचने का आग्रह किया है। सत्ताधारी जननायकों को चाटुकारों की झूठी प्रशंसा से बचना चाहिए। कारण कि झूठी प्रशंसा इनके विवेक को अविवेक में बदल देती है। जननायकों को चाटुकारों के इस मोहपाश से बचना चाहिए। प्रशंसक झूठी प्रशंसा द्वारा जननायकों को पत्थर बना...

गुरु गोविंद सिंह जी के प्रेरणा दायक संदेश जो सबके लिए अनुकरणीय है

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  गुरु गोविंद सिंह के विचार: प्रेरणा का स्रोत , जो सबके लिए अनुकरणीय हैं। आज सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म दिवस मनाया जा रहा है। वे एक कुशल योद्धा, कवि, लेखक, विचारक, एवं सर्व जन हितैषी गुरु थे। यहां उनके अनमोल वचन दिये गये है जो आज भी अनुकरणीय हैं। गुरु गोविंद सिंह जी, दसवें सिख गुरु, ने हमें अनेक अनमोल विचार दिए हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। उनके विचारों में धर्म, न्याय, साहस और मानवीय मूल्यों का संदेश निहित है। आइए कुछ प्रमुख विचारों पर नज़र डालें: धर्म और सहिष्णुता  * सभी धर्मों का सम्मान: गुरु जी ने सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया। उन्होंने सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश दिया।  * कर्म ही धर्म: उन्होंने कर्म को ही सबसे बड़ा धर्म बताया। अच्छे कर्मों से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है।  * न्याय का मार्ग: उन्होंने न्याय और सच्चाई के लिए संघर्ष करना सिखाया। साहस और त्याग  * साहस और बलिदान: गुरु जी ने साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं मानी।  * स्वयं पर विश्वास: उन्होंने ...