अरुण यह मधुमय देश हमारा, गीत जयशंकर प्रसाद
अरुण यह मधुमय देश हमारा
Arun yah maddumay desh hamara
Jayshankar Prasad
अरुण यह मधुमय देश हमारा ।
अरुण यह मधुमय देश हमारा,
जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्भ विभा पर,
नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर,
मंगल कुंकुम सारा।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।।
लघु सुर धनु से पंख पसारे,
शीतल मलय समीर सहारे,
उड़ते खग जिस ओर मुंह किए,
समझ नीड़ निज प्यारा।।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।।
बरसाती आंखों के बादल,
बनते जहां भरे करुणा जल,
लहरें टकरातीं अनंत की,
पाकर जहां किनारा।।
हेमकुंभ ले ऊषा सवेरे,
भरती ढुलकाती सुख मेरे,
मंदिर उंघते रहते जब जग --
कर रजनी भर तारा।।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।।
शब्दार्थ और कठिन शब्दों के अर्थ
अरुण - लालिमा , सूरज, दिनकर।
मधुमय - मृदुल, मीठा, प्यारा
सरस - रस भरे
तामरस - कमल
विभा - सुबह, प्रातः
तरुशिखा- पेड़ की फुनगी
मनोहर - मन को हरने वाला, मन को लुभाने वाले।
कुंकुम -- सिन्दूर।
लघु - छोटे
सुर धनु - इंद्रधनुष
खग - पंछी
नीड़ - घोंसला
निज - अपना
हेम - सोना
कुंभ - घड़ा
हेमकुंभ -- स्वर्ण कलश।
उषा - सुबह
रजनी - रात।
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यह मधुमय देश हमारा: भावार्थ
जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित यह गीत 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' उनके प्रसिद्ध नाटक चंद्रगुप्त का एक अंश है। यह गीत विदेशी यूनानी सेनापति सेल्युकस की पुत्री कार्नेलिया द्वारा गाया गया है, जो भारत की सुंदरता, शांति और आतिथ्य से मंत्रमुग्ध होकर इस देश की प्रशंसा करती है।
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इस गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है:
भारत की प्राकृतिक सुंदरता:
कार्नेलिया भारत की सुबह की लालिमा (अरुण), हरियाली और शांतिपूर्ण वातावरण का वर्णन करती है। वह कहती है कि यह देश इतना सुंदर है मानो सूर्य की किरणें यहाँ प्रेम से बरसती हों।
अतिथि-सत्कार और प्रेम:
गीत में भारत की अतिथि-सत्कार की भावना को विशेष रूप से उजागर किया गया है। कार्नेलिया महसूस करती है कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ अजनबियों को भी सहारा मिलता है और उन्हें प्रेम और सम्मान दिया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे एक घोंसला बनाने वाली चिड़िया को यहाँ आश्रय मिलता है।
ज्ञान और शांति का देश:
भारत को ज्ञान और शांति का प्रतीक बताया गया है। यहाँ ज्ञान की किरणें चारों ओर फैलती हैं और लोगों के जीवन से अंधकार दूर करती हैं।
उदारता और विशालता:
भारत की विशालता और उदारता का भी वर्णन है, जहाँ सभी को स्थान मिलता है और हर व्यक्ति को शांति और सुकून का अनुभव होता है।
संक्षेप में, यह गीत भारत की महिमा, प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक समृद्धि, अतिथि-सत्कार और शांतिप्रिय स्वभाव का एक काव्यात्मक चित्रण है। यह बताता है कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ प्रेम, सद्भाव और मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि रखा जाता है।
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